शनिवार, 7 नवंबर 2020

शबाना आंटी की चुसाई ट्रेन में

Sex video
 

मेरे बारे में आप लोग को बत्ताता हूं में एक मिडल क्लास family se बिलोंग करता हूं मेवेक प्रोपर्टी ब्रोकर हू प्रोपर्टी के सिलसिले में मुझे अकसर सभी जगह से आना जाना पड़ता है. आप लोगो को बोर नहीं कर सकता में कहानी पे आता हूं। एक बार जब में नागपुर से बॉम्बे के लिए जाने वाला था तब मेरे को रिजर्वेशन नहीं मिला लेकिन जाना जरूरी था तो मेने नेट पर ट्रेन का टाइम देखा तो 1घंटे में ट्रेन आने वाली थी में भाग भाग के स्टेशन पहुंचा तो मेने देखा भीड़ बहोत्त हैं जनरल के डब्बे जहा आते है वहीं जाकर में खड़ा हो गया। वहा एक फैमिली भागते हुए आई उस परिवार में तीन मोटी औरत थी और एक आदमी दुबला पतला की उनसे समान भी उठाया जा सकता था।जनरल में भीड़ बाहर से ही दिखाई दे रही थी तो ट्रेन आने में 15/20 मिनिट टाइम था तो उस औरत ने मुझे पूछा की ट्रेन कब तक आएगी मेने बोला की बस अब आंटी ही होंगी।तो उन्होंने कहा क्या आप हमारी help करेंगे मेने उस औरत को बोला क्यों नहीं बिल्कुल औरत बोली की आप के पास कुछ भी समान नहीं दिखता में बोला बस एक बैग है। ओ बोली हमारे पास समान बहोत्त्त है में बोला कोई बात नहीं भीड़ ज्यादा होने के कारण हम एक दूसरे को चिपक के खड़े थे मेरा लौड़ा हिचकोले खाने लगा था उस औरत ने मुझे खड़े खड़े गर्म करना चालू कर दिया कभी आे अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया करती कभी अपने बूब्स को मेरे कंधे को रगड़ देती मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा था।में समझ गया ये क्या चाहती है हसी मजाक में ये सब चल रहा था। ट्रेन आने लगी मेने उस का सामान को हात लगाया और उसका बूब्स को टच किया ओ मेरे तरफ देख कर हसने लगी मेने सोचा अपना ये सफर यादगार रहेगा । भीड़ ज्यादा होने के कारण हमें जनरल डब्बा के अंदर दी सीट के बीच में खड़े रहने की जगह मिल गई।आप लोग अब बोर हो चुके होंगे लेकिन असली मजा अब आने वाला है दोस्तो आे औरत और उसकी सिस्टर दोनों के बीच में में खड़ा उस औरत का नाम पूछा तो उसने शबाना बताया उसकी सिस्टर का नाम रुकसाना बताया ऊन लोगो को बॉम्बे जाना था हमारे सामने वाले पैसेंजर 1घंटे बाद उतारने वाले थे इसलिए हम वहीं खड़े हो गए। शबाना के बारे में आप लोगो को बतादु दोस्तो उस की हाइट 5*4 होंगी बूब्स 34के थे और दीखनेमे किसी हीरोइन के जैसी थी उस की सिस्टर भी उस के जय सी थी में बात पे आता हूं शबाना उस तरह खड़ी थी कि मेरा लद उसको टच हो सके उसने लद को टच किया तो मेने अपने हात का कमाल दिखाना शुरू किया मेरा हात उसकी होड़नी के नीचे से कि किसीको दिख न सके ऐसी तरह रख़ दिया और दबाना शुरु किया शबाना काफी गर्म हो चुकी थीं। दूसरी तरफ से उस की सिस्टर टच कर रही थी मेरे लोड़े का बूरा हाल था । एक घंटा अयसे में निकल गया और हमारे सामने वाली पैसेंजर का स्टेशन आगया ओ लोग उतरने लगे ओ दोनों के बीच में मुझे बिठाया फिर क्या में तो जन्नत में दाखिल हो गया शबाना का पति दरवाजे के पास बायेठने के लिए जगह मिल ने पर वहीं रुक गया डिब्बा पैक हो गया अब नए पैसेंजर को जगह नहीं मिल सकती थी अब मुझे तो बॉम्बे जाना था और शबाना को भी हमारे पास पूरे बारॉ घंटे थे शबानाने मेरे जंग पे हात रखा और दूसरी तरफ से उस की सिस्टर ने रख दिया और मेरा लद पूरा जोश में आगाया अगला भाग बड में लिखूंगा

शबाना आंटी की मस्त चुदासी


 में नागपुर शहर में रहता हू यह बात 2011 है कि जब में नया नया नागपुर में रहने के लिए गया। मेरे पिताजी का तबादला हुआ था हम लोग एक मकान किराए पे लिया। वो बस्ती सभी समाज के लोगों की ज्यादा थी। आप लोगो को बोर नहीं करते हुए। कहानी पे आता हूँ हमारे पड़ोस में एक मुस्लिम परिवार रहता था हम नए होने के कारण उस परिवार ने हमें बहुत मददत की। उनका आना जाना चालू हो गया एक दिन में अपने कमरे में बैठकर कम्प्यूटर पर काम कर रहा था। शबाना आंटी की मेरे को देखकर बोली की क्या तुम मुझे सिखाओंगे! मेने बोला क्यों नहीं ! तुम मेरे खाली समय में आ सकते हो। शबाना के बारे में आप को बता हिं दू दोस्तो क्या चीज़ है यार! बूब्स की साइज बोले तो उसकी पंजाबी ड्रेस मेसे बाहर आने को करते है। और सफेदी की झनकार और उसकी एक बात उसका चेहरा कोई भी देखेगा तो देखता ही रह जाएगा। थोड़ी मोटी जरूर है लेकिन क़यामत लगती है। उसका एक लड़का ही है। उसका पति ज्यदातर बाहर शहर से बाहर ही रहता था। इसलिए आये दिन महीने के महीने अकेली रहती थी। अब उसने मुझसे पूछा कि कंप्यूटर सिखाएं गे मेने हा बोल दिया। टाइम तो मेने बोला कल 2 बजे। क्यों की मेरे घर पर कोई नहीं रहेगा कि पिताजी बाहर निकल जाएंगे और मम्मी भी अपने कामों में बीजी रहती हैं। दूसरे दिन शबाना तैयार हो कर आ गई। शिक्षा के लिए लिए। मेरे पास बैठकर पूछा की इसे क्या कहती है मेने बोला रुको थोड़ा मैडम सब कुछ सिखाऊंगा शांत रहो प्लीज।इसे माउस कहते है। इसको ऐसे रखो !ओ बोली केसे में बोला अपना हाथ इसपर रखो। उसके हात पर मेने अपना हाथ रख दिया और माउस चलना सीखा रहा तब तक मेरा हात उसके बूब्स को टच कर ने लगा दिया। तो मेरा लंड खड़ा होने लगा और उसने बोला हात दबाकर । कायदे से सिखा ओ मेने बोला आप को सीखना होगा तो ये सब करना ही चाहिए क्यों की इस माउस का कहना है और ये ऐसा ही चलना चाहिए ओ बोली ठीक है गुरुजी! में बोला दबाकर इसे ऊपर को उपर लेते समय मेरे हात से उसका बूब्स पूरा दबा दिया। ओ हसने लगी थी मेने सोचा अपना काम शुरू हो जाएगा लाइन क्लियर हैं। शबाना को भी अच्छा लगने लगा था। इतने बड़े स्तन, महिला की वासना और मोठे मोठे स्तन उसके बारे में ज्यादा नहीं बोलेंगे। कहानी पे आता हूं नरम नरम बूब्स छूने के बाद मेरे शरीर में कपकपी जुट गई और में कपकपट्टे लगा की यार क्या चीज़ों में शबाना! फिर मेने उसको बोला कि कल आना! तो ओ बोली की अभी सिर्फ 15 मिनिट हुए हैं। रोज इतना टाइम सिखाएंगे तो मे यह 10 साल मे भी मे सीख नहीं सकती। मेने बोला ठीक है रोज दो घंटे पढ़ौंगी। लेकिन आप भी कुछ पूछोगी नहीं ठीक है। ओके टिक है। फिर मैंने सीखाना चालू कर दिया और अपना भी काम शुरू किया सीखते हुए स्तन दबाना। पहले दिन बहुत अच्छा लग रहा था। अब दूसरे हिस्से में दोस्त से मिलना जरूर काम शुरू हो जाएगा लाइन क्लियर हैं। शबाना को भी अच्छा लगने लगा था इतने बड़े स्तन देख कर शबाना आते ही, मेरा लुंड खड़ा हो जाता था। शबाना को सिखाते हुवे मेने मेरा हात एसा रखा की शबाना का स्तन टच होता रहे। शबाना समझ गई की मेरी दिल मे क्या है। मेरा लुंड खडा उसने देख लिया। मुझे कहने लगी !आप कुछ आगे बड़ो सीखने के लिए। मे समझ गया यह क्या चाहती है, मेने पूरा हात शबाना के बूब्स पर रख दिया। और मसलने लगा, शबाना को भी मजा आने लगा था। उसने उअसका हात मेरी लुंड पर रख दिया और सहलाने लगी। मेने शबाना के स्तन पंजाबी ड्रेस मेसे बाहर निकाल कर दिए और चूसने लगा।

शबनाने मेरा लुंड बाहर निकला और चूसने लगी। मे भी शबाना के स्तन चूसने लगा और चूत को सहलाने लगा। अब शबाना बोली अपने कपडे उतरो !मे बोला तुम भी उतारो !हम दोनों अब बिना कपड़ो के रूम मे थे। मेने समय न गमाते हुवे, शबाना के चूत पर अपना लुंड रख दिया, एक है झटके मे आधा चला गया। शबाना चीखी और बोली !तुम्हारा लुंड मेरी पति से बहुत बड़ा है। प्लीज इसे बाहर निकालो ? मे कहा सुनाने वाला था। मेने जोर जोर से झटके मरना चालू कर दिया और शबाना आह !!!!!!!!आह !!!!!""!करने लगी मे जोर जोर से पेलने लगा शबाना बोली मुझे दर्द हो रहा है प्लीज बाहर निकालो मेने झटके जोर से देने शुरू किये। शबाना झडने वाली थी। ुअसने मुझे जोर से दबाना शुरू किया और झड गई मेरा लुंड मुह मे लेके चूसते हुवे मेरा माल निकाल दिया। अब जब कभी मेरी चोदने की मन करता तो मे शबाना को बुलाता हु। शबाना अणि मर्जी से आती है। "  

Bus के सफर में


 इस बार फिर हाज़िर हूँ एक नयी कहानी लेकर बड़ी ही रोचक दास्तान लेकर आक्च्युयली ये कुछ २ साल पुरानी बात है मे एक दिन भिंड से नागपुर बस से आ रहा था बस बहुत भीड़ भाड़ थी और शीट भी खाली नही थी मे अपना बाग लेकर सबसे पीछे की शीट पर जाकर बैठ गया.

और वा री मेरी किस्मत मेरे बगल मे हे कोई ३५ साल की एक लेडी बैठी हुई थी जो दिखने खुच ख़ास नही थी पर भरे पुर बदन की मलिक थी और एक नज़र मे देखकर लगता भी नही था की उसकी उमर 3५ के आस पास होगी. वो खिड़की के बिल्कुल बगल से बैठी थी और फिर उसके बगल से मे फिर मेरे बगल से एक बुडी औरत और फिर उसके ५ नाती पोते. ये देखकर मेने मन ही मन सोचा की कुछ बात बन सकती है.
फिर क्या था बस ने चलना सुरू किया सर्दियों का टाइम था बहुत ही ठंड लग रही हंत पैर काँप रहे थे अचानक ही एक तेज झटका लगा और मुझे ऐसा एहसास हुआ की किसी ने मेरा हांत कस कर पकड़ लिया हो मेने चोर नज़र से देखा की उस औरत ने मेरा हांत कस कर पकड़ लिया था मेने धीरे से बस की भीड़ भाड़ और दर की वजह से अपना हांत छुड़ा लिया और फिर कुछ देर बाद फिर से झटका लगा और फिर उसने मेरा हांत पकड़ लिया इस बार मेरी हिम्मत कुछ बड़ी उसने शॉल ऑड रखी थी ओर मेने अपने हांत को उसके शॉल के अंदर कर लिया उसका कोमल हंतों का स्पर्श मुझे भी अच्छा लग रहा था और मुझे मज़ा भी आ रहा था अब तो धीरे धीरे मेरे लंड देव भे फंफनाने लगे थे अभी कुछ आधा घंटा ही निकला था की एक और झटका लगा और मुझे उसका पेट चुने का अवसर भी प्राप्त हुआ और मेने हिम्मत करके अपने हांत को उसके पेट ना हटाकर उसके पेट पर फेरना सुरू कर दिया और मुझे एसा महसूस हुआ की उसे भी अब मज़ा आरहा था तो मेने हंतो को फेरना चालू रखा.
अब मे सोच रहा था की आंगे का काम कैसे पूरा होगा तभी उसने अपनी शॉल को खोला और कुछ ऐसे लपेटा की मे भी उसके साथ दाख गया मेरा तो जैसे जलवा ही हो गया अब काया था मुझे पता था की जैसे ही अंधेरा होगा बस की भी लीघ ऑफ हो जाएगी और कुछ ही देर बाद बस के अंदर की भी लाइट ऑफ हो गयी और बस अब अपनी फुल स्पीड मे चल रही थी कुछ ही देर मे एक टाउन आने वाला था जहा कुछ सवारिया और बढ़ती है और बस पूरी तरह से फूल हो जाती है तब तक मे उसके स्तानो को उपर से दबाता रहा और पेट से अंदर उसकी सॅडी मे हांत डालकर उसकी छूट का मुययना भी किया उसकी छूट पर बहुत हे बड़े बड़े बाल थे ऐसा लग रहा था जैसे कई सालो से सॉफ नही किए हो उसने भी मेरे पैंट की जीप को खोलकर मेने लंड देव को खूब मस्ती दी.
फिर बस थोड़ी देर के लिए रूकी मे समझ गया की टाउन आ गया मे तोड़ा सा संभाल कर बैठ गया और पीछे वाली सीट पर एक और लेडी आ कर बैठ गयी तो हमारे बियतने कुछ और दिक्कत बाद गयी फिर बस ने चलना सुरू किया इस पूरी यात्रा के दौरान हम दोनो के बीच किसी भी प्रकार का कोई भी संबाद नही हुआ था. बस फिर से चल पड़ी और हम दोनो फिर से अपने अपने काम मे लग गे ईक जगह बस ने ज़ोर से जंप किया तो वो उछाल कर मेरे पैरो पर बैठ गयी मे समझ गया फिर क्या था मेने भी अपने पैंट की जीप को खोला और उसने भी अपनी सॅडी को नीचे से उठा दिया सबसे बाड़िया तो ये था की उसने पैंटी नही पहनी थी वो मेरे लंड पर बैठ गयी और धीरे धीरे अपने बजन को मेरे उपर बड़ाने लगी और मेरा लंड तो जैसे इसी की प्याससा था एक चाकू की तरह उस केक को काटता हुआ उसके अंदर घुसने लगा था मेने धीरे से उसके मूह पर हांत रखा तो उसने मेरे उंगली को काट लिया मे समझ गया की वो बिल्कुल गरम हो चुकी.
और अब तो वो हर बस के झटके के साथ और ज़ोर से उछलती और मेरा लंड पूरा उसके अंदर समता चला जाता रात की वजह से अधिकतर यात्री सो रहे थे यान फिर आँखे बंद किए हुए थे पर मेरे आनंद की कोई सीमा नही थी मुझे तो जैसे स्वर्ग ही मिल गया था मे अपने दोनो हांतो से उसके निप्पल को दावा रहा और मुझे महसोस भी हो रहा थी की उसके बूब्स से मिल्क तपाक रहा था पर मुझ पर तो जैसे कोई नशा सा छा गया था मुझे अब कुछ भी नही दिखाई दे रहा था वो उछाल उछाल कर चुड रही थी और मे इस अनोखी चुदाई यात्रा का मज़ा ले रहा था उसके नीचे के बाल जो बहुत ही बड़े थे एक अलग ही सुख प्रदान कर रहे थे मे अपने एक हाथ से उसके झांतो की लंबाई नापने के नाकाम कोशिश कर रहा था अचानक ही मुझे ऐसा लगा की उसका जोश कुछ ज़्यादा ही बड गया
और उसने अपने उछालने की स्पीड को और बड़ा दिया उसकी छूट एकदम से गीली हो गयी और मेरा लौदा बड़े ही आराम से उसकी छूट को फाड़ रहा था मे तो जैसे सातवे आसमान पर था और उसने झटको और तेज कर दिया उसकी छूट से पानी ही पानी निकल गया उसने एकदम से कसकर मेरे कंधो को पकड़ लिया मे समझ गया की इसका काम तो हो गया पर मे आयी नही हूआ था और उसे भी ये पता था उसको तो जैसे हर चीज़ का एक्सपीरियेन्स था उसने झट से मेरे गीले लंड को अपनी मुट्ठी मे बंद किया और मेरा मूठ मरने लगी झुककर उसने मेरे लंड को अपने मूह मे भी ले लिया और मुझे भी लगने लगा की मे भी झड़ने वाला हूँ तो मेने उसके सर को ज़ोर से अपने लंड पर दवादिया मेरा लंड उसके गले तक चला गया उसके गले से घुटि सी आवाज़ निकल रही थी और मेरे लंड का सुपाड़ा मुंह में लेके उसने मेरा पूरा वीर्या पी लिया तो मेने अपना दवाब कुछ कम कर दिया फिर उसने अपनी शॉल से मे रे लंड को पोछा और लगभग आधे घंटे बाद मेरा फिर से कड़ा होने लगा फिर उसने ऊपर से ही मेरी मुट मर दी उसके बूब को टच कर कर हिला रही थी और निकल दिया वो एक स्टोपगे पर उतार गयी पर मुझे ये अनोखी यात्रा ऐसी लगती है जैसी कल की बात हो एक एक लम्हा अच्छी तरह से वीडियो की तरह दिमाग़ मे है.

शबाना

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आदिवासी औरत भाग1


 नमस्ते दोस्तो, मैं राज दोस्तो नागपुर महाराष्ट्र में रहता हूँ. मेरी उम्र ३५ साल है और शादीशुदा हूँ. मेरी हाइट 5 फुट ८इंच और हथियार ९इंच का है. मेरी सेक्स लाइफ अच्छी चल रही हैदोस्तो नागपुर महाराष्ट्र में रहता हूँ. मेरी उम्र ३५ साल है और शादीशुदा हूँ. मेरी हाइट 5 फुट ८इंच और हथियार ९इंच का है. मेरी सेक्स लाइफ अच्छी चल रही है

आज मैं अपने साथ घटी एक घटना बता रहा हूं.
बात है दिसंबर 2०१९ की है, उस समय मेरी अपनी वाइफ से थोड़ी अनबन चल रही थी, तो हमारे बीच शायद १० दिनों से सेक्स नहीं हुआ था. मुझे अपने रिश्तेदार के यहां पूना जाना पड़ा. मैंने सरकारी बस में जाने का फैसला किया.
मैं रात की ८ बजे की गाड़ी से निकला. बस में बहुत भीड़ थी, तो मुझे सबसे आखिरी वाली सीट मिली. आखिरी लाइन में भी खिड़की वाली सीट मिली, जिसका एक शीशा टूट हुआ था. सर्दी के कारण कोई उधर बैठना नहीं चाहता था. गाड़ी चूंकि पूरी भर गई थी, अब मैं अपने आप को कोसने लगा कि प्रायवेट गाड़ी से जाता तो अच्छा होता. आते वक्त मैंने कोई कम्बल या शॉल भी नहीं लिया था. मेरे बगल में ३ बूढ़े बैठ गए थे. बस निकल पड़ी.
खिड़की के टूटे हुए शीशे से जोर की हवा अन्दर आ रही थी. बुड्डों ने अपने कम्बल निकाल लिए. मैं तो ठंड से मरा जा रहा था. ऐसे में गाड़ी अकोला रुक गयी.. जो लोग उतरे उनकी जगह जो लोग खड़े थे, वो लपक कर बैठ गए. मैं फिर अपनी जगह फंस गया. मेरे बाजूवाले बूढ़े भी आगे चले गए थे. बस फिर चल पड़ी.
आगे एक घंटे के बाद बस एक ढाबे पर रुक गई और मैं भी नीचे उतरा. मेरी खाना खाने की इच्छा नहीं थी. बस टहल रहा था कि पास में एक जनरल स्टोर था. वहां पर शो-केस में कंडोम के पैकेट लगे हुए थे. उसे देखकर मेरे मन में हलचल होने लगी. वहाँ से 2-3 लोगों ने पैकेट खरीदे.
मैं उस दुकानदार के पास गया और उससे पूछा कि कोई जुगाड़ हो सकता है क्या?
वह बोला- साहब, अकेले सफर कर रहे है क्या?
मैंने हां में जवाब दिया.
उसने कहा- आज आपका नसीब अच्छा नहीं है. जो दो धंधेवाली आती हैं, साली आज वे भी नहीं आईं.. नहीं तो ५०० रु में एक शॉट हो जाता.
मैं अपने नसीब को कोसता रह गया. एक तो १० दिन से प्यास नहीं बुझी थी. ऊपर से ठंड की हालत में लंड भी चुनमुन हो रहा था. मैं मन ही मन में अपनी बीवी के साथ वाले पल याद करने लगा और मेरा लौड़ा पैंट के अन्दर खड़ा हो गया.
मुझे जाने क्या सूझी, सोचा कि कंडोम लेकर बस में मुठ मारूँगा और कंडोम फेंक दूंगा. मैंने एक कामसूत्र का पैकेट ले लिया. साथ ही में उसके यहां से एक गर्म बड़ी सी शॉल भी ले ली और बस में आ गया.
बस अब चलने लगी थी. सिर्फ पीछे वाली लाइन में मैं अकेला था जबकि आगे पूरी बस भरी थी. आधे घंटे बाद सारे लोग सो गए. मैं अपने सेक्स की दुनिया के पल याद करते हुए अपना लौड़ा ऊपर से सहला रहा था कि अचानक बस रुक गयी. बाहर बहुत लोगों का शोर आ रहा था. शायद कोई दूसरी सरकारी बस फेल हो गई थी. उस बस वाले उन लोगों को हमारी गाड़ी में आगे भेज रहे थे.
बहुत सारे लोग अन्दर आ गए और जहां जिसे जगह मिल गई, वे वहीं बैठने लगे. इतने में मेरे तरफ १० से १५ लोग आ गए, सभी शक्ल से देहाती लग रहे थे. उनमें से ८/१०महिलाएं भी थीं. उनके साथ ४/५बच्चे भी थे. सारे मर्द सीटों पर बैठ गए, अब जगह बची नहीं थी, तो औरतें नीचे पैरों के पास बैठ गयी. एक औरत मेरे पैरों के ठीक सामने बैठी. उसके बगल में 6 या 7 महीने का बच्चा होगा. उसके बाजू में 2 बूढ़ी औरतें बैठ गई थीं.
मुझसे तो हिलते भी नहीं बन रहा था. जो उनके मर्द थे, वे सारे शराब पिये हुए थे. बहुत बास आ रही थी. मेरे मन को बहुत बुरा लगा कि मर्द होकर खुद सीट पर बैठ गए और बूढ़ी और जवान औरतों को नीचे बिठा दिया.
इन सबमें मेरा ध्यान अब मेरे सामने बैठी औरत पर गया. शायद 23 या 24 साल की देहाती औरत थी. उसका गेहुंआ रंग था, दूध से भरे चुचे 36 साइज़ के होंगे. उसने मुझे उसे घूरते हुए देख लिया और एक बार अपने मर्दों की तरफ देखा. मैं डर गया और सोने का नाटक करने लगा.
बस आगे बढ़ना शुरू हो गई और फिर आगे निकल पड़ी. जोर की ठंड थी और मेरी खिड़की से जोर की हवा आ रही थी. मैंने अपने को शॉल में लपेट लिया. उतने में उस औरत का बच्चा ठंड से रोने लगा. उसने उसके मर्दों की तरफ देखा, सब सो गए थे. दोनों बूढ़ी औरतें भी चिपक कर सो गई थीं. बेचारी के पास ठंड से बचने के लिए कुछ नहीं था.
उसने मेरी तरफ देख के बोली- बाबूजी, जरा खिड़की बंद कर दो, जोर से हवा चल रही है, मेरे बच्चे को ठंड लग रही है.
मैंने कहा- खिड़की का कांच टूटा है, खिड़की तो बंद है.
उसने ऊपर खिसककर देखा, जिससे वह मेरे करीब को हो गई.

आदिवासी औरत भाग3


 मैंने उत्तेजना में अपना मुँह बंद कर लिया था. वह अब जोर से लंड चूस रही थी, मेरा हाथ भी उसके स्तन जोर से दबा रहा था. अचानक वह उठी, उसने अपने मर्दों को देखा. वो खड़ी हो गयी. अब मेरा शॉल उसके स्तनों पर नहीं था. उस चांदनी की रोशनी में भी मुझे उसकी भरपूर गोलाईयां दिख गईं.

मुझे समझ नहीं आया कि ये अचानक खड़ी क्यों हो गई, जबकि नीचे उसका बच्चा सो रहा था. उसने अब झट से मेरी तरफ पीठ की.. और अपनी साड़ी ऊपर उठाई. शॉल को फिर से ओढ़ लिया और मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत पर सैट किया, आराम से अन्दर डाला और आगे की सीट पे झुकाव किया.
मैं समझ गया और मैंने भी पीछे से उसकी चूत में झटके देना शुरू किया. मुझे डर भी लग रहा था और रहा भी नहीं जा रहा था. पांच मिनट के बाद मेरा माल बाहर आ गया. वह भी सिकुड़ गई, मेरा वीर्य उसकी जांघों के सहारे चुत से बाहर आ गया. वह उठी और अपनी साड़ी से चूत को पौंछते हुए उसे नीचे की और फिर नीचे बैठ गयी.
अब मैंने नीचे झुककर उसे एक किस किया और थैंक्यू बोला. तभी उसने अपना हाथ अपने स्तनों पर रखकर मेरे चेहरे पर अपना दूध उड़ाया और हंस दी.
मैंने उंगली से चेहरे के ऊपर का दूध पी लिया. उसने अपना ब्लाउज बंद कर दिया. वो मेरे सोये हुए लौड़े को सहला रही थी. उतने में उसका बच्चा फिर जग गया. मैंने अपना लौड़ा अन्दर किया और चैन लगा कर सो गया.
सबेरे जब नींद खुली तो उन लोगों का स्टॉप आ गया था. उसके साथ के मर्दों को जबरदस्ती जगाना पड़ा कि भैया उतरो, स्टॉप आ गया है.
मैंने कभी बाहर की औरत से सम्बंध नहीं बनाये, लेकिन पत्नी अगर आपको बहुत दिनों तक लिफ्ट नहीं दे, तो मन भटकता है. हर औरत सेक्सी लगती है. मैं तो आज पैसे देकर भी चुदाई करने वाला था. अपने नसीब को कोस रहा था, पर उसके घर में देर है.. अंधेर नहीं.
जाते समय उसने मुझे स्माइल दी, आज वो मुझे अपनी बीवी से भी सुंदर लग रही थी. मेरा मचलता मन उसने शांत किया था.
आपको मेरी कहानी कैसी लगी है मेरे मेल पर रिप्लाई देना.


आदिवासी औरत भाग2


 अब उसका मुँह मेरे पेट के पास था और इस वजह से उसके स्तन मेरे दोनों घुटनों पर दब गए. मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ने लगा. उसे ये महसूस हुआ और वो फिर से नीचे खिसक गई. उसके स्पर्श से मैं गरम हो गया. अब मैं सोचने लगा कि इसका फायदा कैसे उठाया जाए. एक तरफ उसके मर्द पीकर सो रहे थे और हम दोनों की नींद उड़ गई थी.

मेरे दिमाग में एक आईडिया आया. मैंने उससे कहा कि तुम्हारे पास कोई चादर होगी, वो ओढ़ लो. बच्चे को ठंड लग जायेगी, बेचारा बीमार हो जाएगा.
उसने कहा कि उसके पास चादर नहीं है.
फिर मैं चुप रहा. दो मिनट के बाद फिर उसे भी और बच्चे को भी ठंड लगने लगी.
इस बार वो चुपके से मेरे करीब खिसक गयी. अब वो मेरे पैरों के बीच में चिपक गयी थी. मैंने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे जगाया और उसके कान के पास जाकर कहा कि बच्चे को ठंड लग रही है, तो उसे मेरे शॉल से लपेट दो, मेरी शॉल बड़ी है, कोई दिक्कत नहीं होगी. उसका बच्चा ठंड से उससे चिपक कर सो रहा था. वो दूध पीने के लिए उसकी छाती को खोलने की कोशिश कर रहा था.
उसने कहा- ठीक है.
मैंने उसके पूरे बदन पर शॉल डाल दी. इससे मैं और वो दोनों शॉल से ढक गए थे. अब उसने अपनी छाती खोल के बच्चे को दूध पिलाना शुरू किया, बच्चे के दूध चूसने की आवाज मेरे कानों में आ रही थी. मैं बहुत गर्म हो गया और मेरा लौड़ा पेंट में तंबू बना रहा था. मैंने धीरे धीरे अपनी पैंट को घुटनों तक उठाया. अब तक उसका बच्चा भी सो गया था. बस के धक्के से उसके खुले स्तन मेरी पिण्डलियों से टकरा रहे थे. वो भी सो रही थी. उसका और मेरा सिर्फ मुँह शॉल से बाहर था. बाकी पूरा क्लोज था. उसके नरम थन मेरे पैर से लग रहे थे, उसमें से दूध भी आ रहा था, जो मुझे गीला लग रहा था.
मैंने अब आगे बढ़ने का काम किया. मैंने अपनी पैंट की जिप खोली और लौड़े को बाहर निकाल लिया. फिर मैंने अपना सिर आगे की सीट पर टिकाया और सोने का नाटक करने लगा.
फिर धीरे से मैंने उसके एक स्तन पर हाथ रखा. उसका ३८ का स्तन गर्म और मुलायम लगा. मैंने धीरे से दूध दबाया. वो सो रही थी या सोने का नाटक कर रही थी, पता नहीं. एक बार और आराम से उसके स्तनों पर हाथ फेरते हुए पूरा दूध पकड़ कर आराम से दबाया.
इस बार वो जग गई, उसने मुझे देखा मैं तुरंत सोने का नाटक करने लगा और हल्की आंखों से देखने लगा कि वो क्या करती है. उसने उसके मर्दों की तरफ देखा, सब सो रहे थे.
अब उसने अचानक अपने हाथ कंधे पर लिए और अपना सर शॉल के अन्दर ढक लिया. उसके दोनों हाथ मेरे हाथों पर आ गए थे. उसने मेरे हाथ अपने स्तनों से हटा दिए. मैं पागल हो रहा था, मेरा लौड़ा कड़क हो गया था. मैंने उसके दोनों हाथ जो मेरे घुटनों पर थे, उसको पकड़ कर अपनी जांघों के बीच लौड़े को ना छुए, ऐसे रख दिये.
उसने कुछ नहीं बोला.
मैंने महसूस किया कि मेरे हाथ निकलने पर भी उसने अपना ब्लाउज बंद नहीं किया था. मैं कुछ देर शांत रहा, लेकिन मेरा लौड़ा उछाल मार रहा था. शायद उसे ये महसूस हुआ, उसकी उंगली धीरे से मेरे लौड़े को टच कर गयी. मेरी तो जान जा रही थी. मैंने धीरे से अपने दोनों घुटने पास लाने शुरू कर दिये, उससे उनके स्तन मेरे घुटनों में दब गए. अब उसने 2 से 3 उंगलियां मेरे लौड़े के पास लाकर उसे छू लिया. मैं दोनों घुटने अन्दर कभी बाहर कर रहा था, शायद उसने मेरा लौड़ा देख लिया क्योंकि अब उसका सर मेरे पेट के सामने उठा हुआ था. मैंने अपना लौड़ा तो पहले ही खोल कर रखा था, मुझे अपने लौड़े के ऊपर उसका हाथ महसूस हुआ. उसने मेरे हथियार को पकड़ लिया और धीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगी. अब मैंने भी उसके चेहरे से अपना हाथ फेरते हुये धीरे से उसके गालों से होते हुये उसके होंठों पर अंगूठा टिका दिया. उसके होंठ खुल गए. मेरा अंगूठा उसके मुँह में घुस गया. वो उसे चूसने लगी.
मैं अब अपना दूसरा हाथ उसके स्तनों पर फेरने लगा. वो गरम हो गयी थी और लौड़ा जोर से ऊपर नीचे कर रही थी. अब मैंने अपना अंगूठा उसके मुँह से बाहर निकाल लिया, उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने दूसरे स्तन पर रख लिया.
अब मैं कहां रुकने वाला था, मैंने अपना सर फिर से सामने वाली सीट पर लगाया. तो मेरा लौड़ा उसके मुँह के सामने आ गया था. वह समझ गयी और उसने लौड़ा मुँह में भर लिया और धीरे से चूसने लगी.
मैं तो जैसे स्वर्ग में था, क्योंकि मेरी बीवी ने आज तक कभी मेरा लंड मुँह में नहीं लिया था. मैंने भी उससे कभी जबरदस्ती नहीं किया था. ये मेरा पहला अनुभव था. मैं उसके मम्मे दबा रहा था, पूरा दूध निकलकर मेरे हाथ गीले हो गए थे और उसके स्तनों पर चिकनाई आ गई थी. वह लंड चूस रही थी, मैं दूध दबा रहा था

SAFAR 3


 अब भी उससे चोद कर ही आया हूँ और उसने मुझे ब्रा दिखाई और साथ मैं मोबाइल मैं पिक्स दिखाई, उसने आंटी और खुद की पिक्स ली थी पर वो कपड़ों मैं थी,और दूसरी मैं वो और आंटी टॉपलेस थे. तभी बस एक जगह फूची तो उसने कहा की यहां उसे उतरण है और वो उत्तर गया. मैं जल्दी से आंटी के स्लीपर की और गया और तेज तेज नॉक किया. आंटी ने दूर ओपन किया तो मैंने कहा की नागपुर आ गया है चलो जल्दी केरो उतरने की तैयारी केरो. ये बोलते हुए मैं अंदर देख रहा था तो देखा की आंटी की सारी खराब हो गयी है और वो अलग पड़ी है और वो सिर्फ़ ब्लाउज पेटीकोट मैं है. फिर मैने आंटी के बूब्स खोलनेको कहा आंटी मेरे को ना ना कह रहे थे फिर मेने उनकी एक बात नाही सुनाई  दबाता रहा फिर वो भी गर्म हो गई थी दबाते ही आंटी का पानी निकालने वाला था मेने आंटी के चू त पे हात लगा था वो फिर गर्म हो गई फिर मेने आंटी को अपने मुंह में डाल दिया और कहा कि शबाना जोर से दबाना शेबो मेरी रानी आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह कर रहे है तो कोई बात नहीं तुम्हें मजा आह रहा है ना बेटा ।बेटा मत कहो आंटी ।  मेरी और चूसो चूसो आह आह

डीलक्स बस का सफर बड़े बूब्स वाली औरत


 एक बार मुझे काम के सिलसिले में मुंबई जाना था मुझे ट्रेन का रिजर्वेशन नहीं मिला फिर में बस की बुकिंग कर ली मेरा दिल सेक्स करने के लिए मचल रहा था लेकिन काम तो करनाही पड़ेगा

मेरी डीलक्स बस में सीट थी और सीट नम्बर 10 था और इसके पास वाली सीट नम्बर 9 जो विंडो सीट थी खाली थी. फिर मैंने कंडक्टर से बोला कि मुझे विंडो सीट दे दे, लेकिन उसने यह कहकर मना कर दिया कि सीट आगे से बुक है. फिर बस चली और फिर थोड़ी देर में बतला आ गया. अब में जो पहले से इस बात से दुखी था कि मुझे विंडो सीट नहीं मिली, यह देखकर खुश हो गया था की विंडो सीट पर एक लेडी बैठने वाली है, उसकी उम्र यही कोई 36-37 साल रही होगी और वो दिखने में भी बहुत सेक्सी थी. में ट्रेवल तो बहुत करता हूँ, लेकिन ऐसे चान्स बहुत कम आते है.
अब मुझे पता था कि टाईम ठीक कट जाएगा. फिर वो आई और अपनी सीट पर जाने के लिए बैठने लगी. अब बस चल चुकी भूसावल क्रॉस करते ही रेल्वे लाईन आती है, अब वो जब बैठ रही थी तो बस रेल्वे लाईन क्रॉस करने लगी, तो जिससे बस हिलने की वजह से उनका बैलेंस बिगड़ गया, क्योंकि वो मुझे क्रॉस करके अपनी सीट पर बैठ रही थी तो गिरते-गिरते उसका हाथ सीधा मेरी टाँगो के बीच में मेरी बाल्स पर आकर लगा. तभी में दर्द से चिल्लाया आअहह तो वो फटाफट से संभली और बैठते ही सॉरी बोलने लगी.
अब में अपने दोनों हाथो से अपनी बॉल्स सहला रहा था, वो झटका इतना ज़ोरदार था कि मेरी आँखों में भी पानी आ गया था. फिर उसने मुझे बहुत बार सॉरी कहा और ऐसा कहते-कहते उसका हाथ कई बार मेरी जांघो से टच किया.
अब दर्द और उसके हाथ दोनों की वजह से ही मेरा शेर खड़ा हो चुका था. तब में बोला कि कोई बात नहीं. फिर थोड़ी देर की बातों के बाद हम नॉर्मल हो गये. अब इतने में वो सो गयी थी, सुबह ४ बजे की बस में सब सो रहे होते है और अब में भी सोने की कोशिश करने लगा था, लेकिन अब मुझे नींद नहीं आ रही थी.
तब मैंने ऐसे ही उसके साथ चिपकना शुरू किया, कभी अपनी जांघो को उसकी जांघो से टच किया तो कभी कोहनी को उसके बूब्स की साईड पर टच किया, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि उसकी जांघो पर अपना हाथ रखूं, लेकिन मेरा दिल कर रहा था. अब इससे पहले सेक्स के नाम पर मैंने अपनी कज़िन के बूब्स पकड़े थे या फिर एक इंशोरेंस एजेंट के साथ थोड़ा सा ओरल किया था. अब सब मेरी आँखो के सामने घूम रहा था और अब में उसको टच करना चाहता था.
फिर मैंने थोड़ा डरते- डरते पहले अपना एक हाथ अपनी जांघो पर रखा और जरा सा अपना हाथ उसकी जांघो को टच करवाया. अब वो सो रही थी, तो मैंने ऐसे ही अपना एक हाथ आगे बढ़ाया और फिर अपना हाथ वहीं रखकर सोने लगा और सोचा कि इससे आगे बाद में कोशिश करूँगा. तभी इतने में मैंने अपनी आँखे बंद कर ली और उसी पोज़िशन में 15 मिनट तक रहा.
वो उठी और उसने मेरा हाथ अपनी जांघो पर देखा, लेकिन वो बोली कुछ नहीं थी. अब में सब देख चुका था, लेकिन वैसे ही रहा. अब बारी उसकी थी, अब उसकी तड़प बढ़ रही थी तो तब उसने थोड़ी देर के बाद अपनी टाँग मेरी तरफ और सरकाई, ताकि मेरा हाथ और आगे जा सके.
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अब मेरा एक हाथ सरककर उसकी चूत को टच कर रहा था. फिर मैंने बड़ी मुश्किल से थोड़ी हिम्मत की और हिला नहीं और बस अपना हाथ वहीं रखे रखा. अब उसके बर्दाश्त से बाहर हो गया था तो वो थोड़ी-थोड़ी खुद हिलने लगी थी. तभी इतने में नसिक की रेल्वे क्रॉसिंग आई और बस ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगी. तब उसने मजा लेने के लिए लिए अपनी दोनों टांगे खोल दी, ताकि मेरा हाथ हिलकर बीच में घुस जाए.
अब उसने मेरा हाथ अपनी दोनों टांगो के बीच में अपनी चूत के ऊपर फंसा लिया था. फिर उसने अपना एक हाथ मेरी पेंट पर रखकर सहलाना शुरू कर दिया. तो तब मुझे लगा कि में अब भी सोने का नाटक करूँगा तो मेरा ऐसे ही पानी छूट जाएगा. फिर मैंने अपनी आँखे खोली और उसकी तरफ देखा. तो तब उसने कहा कि में देख रही थी कि ज़्यादा तो नहीं लगी.
अब हम दोनों को दोनों की इच्छाए पता लग गयी थी, में पहली बार किसी इतनी उम्र की लेडी को ऐसे टच कर रहा था. अब टाईम 8 हो चुका था, अब हमें यह था कि लोग उठ सकते है और देख सकते है. तब में उठा और अपने लेपटॉप का बैग अपनी टांगो पर रख लिया. उसको भी यह स्कीम पसंद आई और फिर उसने भी एक बड़ी सी पॉलिथिन जिसमें कुछ खाने पीने की चीज़े थी, उसको अपने ऊपर रख लिया और फिर पॉलिथिन के नीचे से उसने मेरा हाथ अपनी सलवार में डाल दिया मेरे दोस्तो आप को पता है की मुझे बूब्स दबाने में बाहर खेलने में बहो त मजा आता है में इस खेल में बाहों त एक्स्पार्ट हूa अगला भाग नेक्स टाइम

बस में ४५ साल की मोटी औरत


 में विनोद कुमार नागपुर का रहने वाला हूं। यह कहानी जब की है कि में बोम्बे में रहता था। मुझे काम के सिलसिले में हमेशा बाहर आना जाना पड़ता था आक्च्युयली ये कुछ 8-10 महीने पहले की बात है मे एक दिन भिंड से नागपुर बस से आ रहा था बस बहुत भीड़ भाड़ थी और शीट भी खाली नही थी मे अपना बाग लेकर सबसे पीछे की शीट पर जाकर बैठ गया.

और वा री मेरी किस्मेट मेरे बगल मे हे कोई ४५साल की एक लेडी बैठी हुई थी जो दिखने खुच ख़ास नही थी पर भरे पुर बदन की मलिक थी और एक नज़र मे देखकर लगता भी नही था की उसकी उमर ४५के आस पास होगी. वो खिड़की के बिल्कुल बगल से बैठी थी और फिर उसके बगल से मे फिर मेरे बगल से एक बुडी औरत और फिर उसके ५ नाती पोते. ये देखकर मेने मान ही मान सोचा की कुछ बात बन सकती है.उस औरत के बूब्स बाहों त बड़े बड़े थे हात और पाव भी मजबूत हो गया थे फिगर काफी बड़ी थी में तो बूब देख रहा था लेकिन जब देखा कि उसके ब्लाउज के दो बाटन खुले है
फिर क्या था बस ने चलना सुरू किया सर्दियों का टाइम था बहुत ही ठंड लग रही हंत पैर काँप रहे थे अचानक ही एक तेज झटका लगा और मुझे ऐसा एहसास हुआ की किसी ने मेरा हांत कस कर पकड़ लिया हो मेने चोर नज़र से देखा की उस औरत ने मेरा हांत कस कर पकड़ लिया था मेने धीरे से बस की भीड़ भाड़ और दर की वजह से अपना हांत छुड़ा लिया और फिर कुछ देर बाद फिर से झटका लगा और फिर उसने मेरा हांत पकड़ लिया फिर मेने अपना एक हाथ आयसा रखा कि उसके बूब को टच कर सकू में बूब होले होले दबा रहा था मेरा लुंड अपने आपे से बाहर जा रहा था मेरी हिम्मत कुछ बड़ी उसने शॉल ऑड रखी थी ओर मेने अपने हांत को उसके शॉल के अंदर कर लिया उसका कोमल हंतों का स्पर्श मुझे भी अक्चा लग रहा था और मुझे मज़ा भी आ रहा था अब तो धीरे धीरे मेरे लंड देव भे फंफनाने लगे थे अभी कुछ आधा घंटा ही निकला था की एक और झटका लगा और मुझे उसका पेट चुने का अवसर भी प्राप्त हुआ और मेने हिम्मत करके अपने हांत को उसके पेट ना हटाकर उसके पेट पर फेरना सुरू कर दिया और मुझे एसा महसूस हुआ की उसे भी अब मज़ा आरहा था तो मेने हंतो को फेरना चालू रखा.
अब मे सोच रहा था की आंगे का काम कैसे पूरा होगा तभी उसने अपनी शॉल को खोला और कुछ ऐसे लपेटा की मे भी उसके साथ दाख गया मेरा तो जैसे जलवा ही हो गया अब काया था मुझे पता था की जैसे ही अंधेरा होगा बस की भी लीघ ऑफ हो जाएगी और कुछ ही देर बाद बस के अंदर की भी लाइट ऑफ हो गयी और बस अब अपनी फुल स्पीड मे चल रही थी कुछ ही देर मे एक टाउन आने वाला था जहा कुछ सवारिया और बढ़ती है और बस पूरी तरह से फूल हो जाती है तब तक मे उसके स्तानो को उपर से दबाता रहा और पेट से अंदर उसकी सॅडी मे हांत डालकर उसकी छूट का मुययना भी किया उसकी छूट पर बहुत हे बड़े बड़े बाल थे ऐसा लग रहा था जैसे कई सालो से सॉफ नही किए हो उसने भी मेरे पैंट की जीप को खोलकर मेने लंड देव को खूब मस्ती दी.
फिर बस थोड़ी देर के लिए रूकी मे समझ गया की टाउन आ गया मे तोड़ा सा संभाल कर बैठ गया और पीछे वाली सीट पर एक और लेडी आ कर बैठ गयी तो हमारे बियतने कुछ और दिक्कत बाद गयी फिर बस ने चलना सुरू किया इस पूरी यात्रा के दौरान हम दोनो के बीच किसी भी प्रकार का कोई भी संबाद नही हुआ था. बस फिर से चल पड़ी और हम दोनो फिर से अपने अपने काम मे लग गे ईक जगह बस ने ज़ोर से जंप किया तो वो उछाल कर मेरे पैरो पर बैठ गयी मे समझ गया फिर क्या था मेने भी अपने पैंट की जीप को खोला और उसने भी अपनी सॅडी को नीचे से उठा दिया सबसे बाड़िया तो ये था की उसने पैंटी नही पहनी थी वो मेरे लंड पर बैठ गयी और धीरे धीरे अपने बजन को मेरे उपर बड़ाने लगी और मेरा लंड तो जैसे इसी की प्याससा था एक चाकू की तरह उस केक को काटता हुआ उसके अंदर घुसने लगा था मेने धीरे से उसके मूह पर हांत रखा तो उसने मेरे उंगली को काट लिया मे समझ गया की वो बिल्कुल गरम हो चुकी.
और कहानिया शादीशुदा समीना का अनोखा रिश्ता
और अब तो वो हर बस के झटके के साथ और ज़ोर से उछलती और मेरा लंड पूरा उसके अंदर समता चला जाता रात की वजह से अधिकतर यात्री सो रहे थे यान फिर आँखे बंद किए हुए थे पर मेरे आनंद की कोई सीमा नही थी मुझे तो जैसे स्वर्ग ही मिल गया था मे अपने दोनो हांतो से उसके निप्पल को दावा रहा और मुझे महसोस भी हो रहा थी की उसके बूब्स से मिल्क तपाक रहा था पर मुझ पर तो जैसे कोई नशा सा छा गया था मुझे अब कुछ भी नही दिखाई दे रहा था वो उछाल उछाल कर चुड रही थी और मे इस अनोखी चुदाई यात्रा का मज़ा ले रहा था उसके नीचे के बाल जो बहुत ही बड़े थे एक अलग ही सुख प्रदान कर रहे थे मे अपने एक हांत से उसके झांतो की लंबाई नापने के नाकाम कोशिश कर रहा था अचानक ही मुझे ऐसा लगा की उसका जोश कुछ ज़्यादा ही बाद गया
और उसने अपने उछालने की स्पीड को और बड़ा दिया उसकी छूट एकदम से गीली हो गयी और मेरा लौदा बड़े ही आराम से उसकी छूट को फाड़ रहा था मे तो जैसे सातवे आसमान पर था और उसने झटको और तेज कर दिया उसकी छूट से पानी ही पानी निकल गया उसने एकदम से कसकर मेरे कंधो को पकड़ लिया मे समझ गया की इसका काम तो हो गया पर मे आयी नही हूआ था और उसे भी ये पता था उसको तो जैसे हर चीज़ का एक्सपीरियेन्स था उसने झट से मेरे गीले लंड को अपनी मुट्ठी मे बंद किया और मेरा मूठ मरने लगी झुककर उसने मेरे लंड को अपने मूह मे भी ले लिया और मुझे भी लगने लगा की मे भी झड़ने वाला हूँ तो मेने उसके सर को ज़ोर से अपने लंड पर दवादिया मेरा लंड उसके गले तक चला गया उसके गले से घुटि सी आवाज़ निकल रही थी और मेरे लंड से वीर्या.
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जब उसने मेरा पूरा वीर्या पी लिया तो मेने अपना दवाब कुछ कम कर दिया फिर में उसके बूब्स दबाने लगा था उस समय मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी फिर हम दोनों ने होटेल जाने का पलान बनाया एक बढ़िया होटल में बुकिग कि अगला भाग नेक्स टाइम

ट्रेन में मिली एक बच्चे की अम्मा


 एक बार दोस्तो में और मेरा दोस्त नागपुर से मुबंई जाने वाले थे। मेरे साथ मेरा दोस्त भी जाना पड़ता था इसलिए उसने मुझे कहा की हम दोनों ट्रेनें से जाते है हम दोनों ने जनरल की टिकीट ले लि।और टेशन पे चले गए।ट्रेन आने को लगभग १घंटा टाइम था तो हमने टाइम पास के लिए उधर ताका zaki कर रहे थे। तो हम ने देखा कि एक औरत और एक बच्छा और एक १८साल का लड़का तीनों जनरल डब्बा जहा पर आता है बेट्टे हुए हैं मेने उनके पास जाकर बेठ गया और उनसे बात करना शुरु कि मुझे कहा की ओ भी मुबंई जाने वाले थे।उसका बच्चा रोने लगा तो उसने अपना ब्लाउस खोल कर उसको दूध पिलाने वाली थी में देख रहा था।

फिर ट्रेन आ गई ट्रेन म ज्यादा भीड़ नहीं थी

इस डिब्बे में कुछ ही लोग थे. एक औरत भी थी, जिस पर मेरी नज़र बाद में पड़ी. जब मैं आराम से बैठ गया, तब मेरी उस महिला पर नजर पड़ी. वो वहीं औरत दिखी उसका बच्चा रोने लगा ओ औरत दिखने में कुछ खास नहीं थी या फिर सफर की वजह से कोई ज्यादा सजी धजी नहीं थी. पर जो भी हो, वो एक मस्त औरत थी और मुझे उसे देखने में मज़ा आ रहा था.

हालांकि मैं उसे उतनी गौर से नहीं देख पा रहा था क्योंकि मुझे डर था कि कहीं इसका बड़ा बेठा इसके साथ न हो. पर ये मेरा डर कुछ ही देर में खत्म हो गया क्योंकि उसके साथ एक लड़का और बच्चा ही था.

जब धीरे धीरे लोग आने वाले छोटे छोटे स्टॉप पर उतरते चले गए. तब मुझे उसे देखने का अवसर मिलने लगा.

अब डिब्बे में मेरे अलावा मेरा दोस्त, वो, उसके साथ का लड़का और कुछ लोग ही रह गए थे. वे सब अपने अपने में मस्त थे.

मैं उसको देखता रहा और अपना लंड मसलता रहा, पर जब वो मेरी तरफ देखती, तो मैं मुस्कुरा देता.कुछ देर ऐसे ही चलता रहा, फिर उसका बच्चा रोने लगा. उसका बच्चा छोटा था, तब मुझे लगा कि अब मज़ा आएगा.

वही हुआ … उसने अपना बच्चा उठाया और उसे अपने मोटे मोटे चुचों से लगा लिया. वो बच्चा अपने मुँह में निप्पल लेते ही बिल्कुल शांत हो गया. ये देख कर मैंने मन में सोचा कि अब इसकी चूचियों के दीदार हो जाएं तो मजा आ जाए.

मैं जानता था कि ट्रेन की हवा से इसकी साड़ी जरूर उड़ेगी.
वैसा ही हुआ.

थोड़ी देर में उसकी साड़ी का आंचल ऊपर को हुआ और मुझे उसके थोड़े से चुचों के दीदार हो गए. उसने भी अपना पल्लू जल्दी से सही कर लिया, पर उसे पता चल गया था कि मैंने उसके मम्मों को देख लिया है. मैं अपने ख्यालों में उसके चुचों को किसी बच्चे की तरह पी रहा था.

अचानक अगला स्टॉप आया और ट्रेन रुक गई. उसके साथ वाला लड़का, उससे बोल कर नीचे चला गया कि मैं दूसरी बोगी में सीट देखने जा रहा हूँ.

ये कह कर वो चला गया. मैंने अपने दोस्त को भी सीट देखने भेज दिया. मैंने उससे कह दिया था कि वहीं रहना और उस लड़के को भी बिजी रखना. दोस्त समझ गया.

यही हुआ भी. थोड़ी देर में ट्रेन चलने लगी और उसके साथ वाला लड़का वापस नहीं आया.

अब बोगी में सिर्फ मैं और वो थी. उसके साथ उसका बच्चा था, जिसका मैं शुक्रगुजार था कि उसकी वजह से उसकी माँ मुझे चोदने को मिल सकती है.

ट्रेन चल दी. मैं अपनी जगह पर बैठा रहा और उसे देखता रहा. शायद अब वो मेरी मंशा जान चुकी थी … मगर उसने कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी.

इतने में उसका बच्चा फिर से रोने लगा. उसने मेरी तरफ देखा, तो मैंने आंखें बंद कर ली थीं, ताकि वो खुल कर अपने बच्चे को दूध पिला सके.

उसने मेरी तरफ देखा और अपने बच्चे को दूध पिलाने लगी. वो दूध पिलाते हुए सो सी गई और तभी हवा के कारण उसकी साड़ी उसके मम्मों से उड़ गई. उसके एक नंगा स्तन मेरे सामने खुल गया था. मुझे मस्त भरा हुआ दूध देख कर ऐसा लगा कि मैं अभी जाकर उसकी चूची को चूस लूं और इसे चोद दूं. पर मैंने काबू किया और उसके जागने का इंतज़ार किया.

जब वो जागी, तो अपनी हालत देख कर शरमा गई. उसने मेरी तरफ देखा, तो मैं मुस्कुरा रहा था. वो भी मुस्कुरा दी.

मुझे लगा कि अब ये पट गई. मैं उठ कर उसके पास गया और उसकी तारीफ करने लगा. वो भी खुश सी दिखने लगी.

मैंने उससे पूछा- कहां जा रही हो.

तो पता चला कि वो भी अपने मायके मुम्बई जा रही थी. जो उसे लेने आया था, वो उसके चाचा का लड़का है.

मेरी उससे यहां वहां की बातें होती रहीं. बात ही बात में पता चला उसका पति कहीं बाहर नौकरी करता है और घर कम ही आ पाता है.
हवा तेज होने की वजह से मैंने उससे कहा- तुम इधर को आ जाओ, आवाजें समझ नहीं आ रही हैं.

वो मेरे करीब आ गई और मेरे पास चिपक कर बैठ गई. मुझे कोई डर नहीं था क्योंकि आखिरी स्टॉप झांसी था. मेरे पास टाइम और चुदने लायक चुत दोनों थे.

मैंने उसके कंधे पर हाथ रख लिया और हमारी बातें होती रहीं. तभी उसका बच्चा फिर से रोने लगा. वो फिर से उसे दूध पिलाने लगी.

मेरे मुँह से निकल गया दिन में ये बच्चा परेशान करता है और शाम को बच्चे के पापा.
वो हंस कर बोली- शाम को परेशान करने वाला कोई है ही कहां?
मैंने कहा- क्यों ये बच्चा किधर से आया … इसके पापा ने ही तो परेशान किया होगा.

वो हंस दी और कुछ नहीं बोली.

मैंने उससे कहा- तुम आराम से बैठ जाओ. हवा तेज चल रही है.

वो मुझसे टिक गई और बात करते करते सो गई. कुछ पल बाद वो मेरे सीने से टिक गई.

मैं भी उसके शरीर की गर्मी का पूरा मजा ले रहा था. मैंने भी अपना हाथ उसके कंधों से आगे करके उसके चूचे के करीब रख दिया था. उसने कुछ नहीं कहा, तो मैं धीरे से उसे सहलाने लगा. हालांकि मेरे हाथ कंप रहे थे. मैंने हाथ कुछ और नीचे किया, तो थोड़ी ही देर में मेरा हाथ उसके चुचे से टकरा गया. मुझे महसूस हुआ कि बच्चे को दूध पिलाने के बाद इसने अभी अपना ब्लाउज़ नीचे नहीं किया है. मैंने दूध टटोला और तुरंत अपना हाथ हाथ हटा लिया.

पर ये तो आप भी समझते हैं कि एक बार कोई चीज छूने को मिले, तो दुबारा मन और बढ़ जाता है.

मैंने दूसरी बार हाथ ले जाकर उसके चुचों पर रख दिया और जरा सा सहला दिया. इससे वो जाग गई और अपना ब्लाउज सही करने लगी. उसने मेरा हाथ आराम से हटा दिया और फिर सो गई. उसके हटाने में कोई विरोध नहीं था.

मैंने सोचा कोई जल्दी नहीं है, आराम से काम करते हैं और मैं उसकी पीठ सहलाने लगा. वो लगभग मेरी बांहों में समा चुकी थी. मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा, तो वो बहुत गर्म थी.

मैं मस्ती से सहलाने लगा. अब उसने भी मेरे सीने को जकड़ लिया था. उसके स्तन मेरे सीने पर आ गए थे और मेरा हाथ उसकी पीठ पर था.

मेरा हाथ अब मेरे काबू से बाहर हो चुका था और साड़ी के ऊपर से उसकी गांड को सहलाने लगा था. देखते ही देखते मेरी हिम्मत इतनी बढ़ चुकी थी कि मेरा हाथ अब उसकी साड़ी के अन्दर चला गया था. उसकी पैंटी मेरे हाथ में टच होने लगी थी. उसकी गांड और हाथ के बीच में सिर्फ पेंटी थी.

मैंने अपना हाथ पेंटी के अन्दर कर दिया और उसकी गांड का स्पर्श पाते ही मेरा हाथ जल उठा. उसकी गर्म गांड की तपिश मेरा हाथ सहन नहीं कर पा रहा था.

पहली बार किसी लड़की की गांड को हाथों से स्पर्श करना मेरे लिए रूहानी सा था. शायद आपने भी कभी ऐसा महसूस किया होगा. उसका हाथ भी हरकत करने लगा था. ये महसूस करते ही मैंने अपने दूसरे हाथ से अपना लंड बाहर निकाला और उसके हाथों में दे दिया. उसने भी तुरंत लंड हाथ में ले लिया और जोर जोर से हिलाने लगी. मैं सातवें आसामान पर था.

मैंने उसे एक पल के लिए रोका और मैं उठकर गेट बंद करने चला गया. मैं गेट लगाने के बाद नीचे लेट गया और उसे अपने पास बुला लिया. उसने अपने बच्चे को एक तरफ लिटा दिया.

पहले तो मैंने उससे कहा- तुम ब्लाउज उतारो. मुझे तुम्हारे चूचे देखने हैं.
उसने तुरंत ब्लाउज खोल दिया और मैं भूखे भेड़िए की तरह उसके मम्मों पर टूट पड़ा. मैं निप्पल चूसने लगा.

इस समय मैं एक छोटे बच्चे की तरह महसूस कर कर रहा था. मेरे दिमाग में कुछ नहीं चल रहा था, मैं बस उसकी चूचियों का आनन्द ले रहा था. उसका दूध मेरी जीभ को स्वाद दे रहा था.

उसके बाद मैंने उससे कहा- तुम लेट जाओ.

वो लेटने लगी तो मैंने उसकी साड़ी उतार दी और पैंटी के ऊपर से उसकी चुत मसलने लगा. यह बहुत हसीन एहसास था. मैंने उसकी पैंटी उतार दी और अब उसकी चुत और मेरे हाथ के बीच में कोई नहीं था.

मैं उसकी चूत को इस तरह से सहला रहा कि उसमें से जल्दी से रस निकल आए. इसी रस के लिए दुनिया पागल है. साथ ही मैं उसकी चुत को ऐसे मसल रहा था, जैसे मैं कुछ ढूंढ रहा हूं, जैसे मेरा कुछ उसके अन्दर खो गया हो.

देखते ही देखते पता नहीं क्या हुआ कि मैंने अपना मुँह अपनी जीभ उसकी चुत पर रख दिया और उसे किसी आम की फांक की तरह चूसने लगा. उसने भी टांगें खोल दीं और चुत चटवाने का मजा लेने लगी. वो बड़ी चुदासी थी.

उसकी चुत चाटते हुए मुझे बहुत अजीब लग रहा था, पर मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था. उसके चेहरे पर वासना के भाव देखकर मैं और उत्साहित होता जा रहा था.

थोड़ी देर में उसकी चुत से कुछ रस सा निकल गया. उसकी चुत के रस का नमकीन स्वाद था. मैं उस नमकीन शहद को पी गया.

उसने मुझे रोकने का इशारा किया पर मैं कहां रुकने वाला था. मैं न जाने कितने समय से भूखा था. फिर मैंने उसकी चुत को छोड़ दिया और चूची मुँह में लेकर चूसने का काम करने लगा. वहां भी मुझे पीने के लिए दूध मिल गया. मेरी भूख तो कम हो गई, पर वासना और बढ़ गई.

उसके गोरे स्तनों पर काला निप्पल जामुन के जैसे लग रहा था और चूसने में उतना ही रसीला था.

उसके बाद कुछ देर तक हम किस करते रहे और वह भी मुझे सहलाती रही.

फिर मैंने उससे कहा- अब तुम मेरा लंड चूसो.
उसने मना कर दिया.
मेरी लाख कोशिशों के बाद भी वह नहीं मानी और मैंने ज्यादा जबरदस्ती करना ठीक नहीं समझा.

मैं समझ गया था कि इसका पानी निकल चुका है, इसलिए नखरे कर रही है. इसे फिर से गर्म करना होगा.

मैंने उसे घोड़ी बनने को बोला तो वो ट्रेन में चौपाया बन गई. मैं पीछे से कुत्ते की तरह उसकी गांड चाटने लगा. वो मचल उठी. जब मैंने उसकी गांड में उंगली डाली, तो वो चिहुंक गई और उसने मेरी उंगली हटा दी. फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा और उसे गर्म करके आधा में ही छोड़ दिया.

अब वो कहने लगी कि लंड डालो.
मैंने कहा- पहले मेरा चूसो.

उसे वही करना पड़ा. उसने जैसे ही मेरा लंड अपने मुँह में लिया, तो मैं जीवन में पहली बार आसामान पर उड़ने लगा था. मुझसे यह बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने अपना पानी छोड़ दिया.

पर मुझे आश्चर्य हुआ कि उसने लंड रस की एक बूंद भी गिरने नहीं दी. वह सारी मलाई अमृत की तरह पी गई.

अब उसे भी मजा आ रहा था तो हम दोनों सिक्सटी नाइन की पोजीशन में आ गए. उसके मुँह में मेरा लंड था और मेरे मुँह में उसकी चुत थी. जितनी अच्छी तरह से मैं उसकी चुत चाट रहा था, उतनी ही बेदर्दी से वो मेरा लंड चाट रही थी.
हम दोनों ने फिर से एक दूसरे के मुँह में अपना पानी छोड़ दिया और निढाल होकर एक दूसरे से चिपके लेटे रहे.

कुछ देर बाद फिर मेरे लंड ने उफान मारा और मैं अब खेल खत्म करना चाहता था, पर वो बुरी तरह से थक चुकी थी.

मैंने उसे परेशान करना ठीक नहीं समझा और उसके बगल में लेट गया. मैं उसके दूध भरे चुचे चूसने लगा.

जब मैंने उसका हाथ अपने लंड पर महसूस किया, तो मैं समझ गया कि खेल अब शुरू हो सकता है.

मैंने उसे किस किया और वो मेरी छाती के निप्पल चाटने लगी. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. फिर वो मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई और अपनी चूत में लंड को घिसने लगी. आह चूत की गर्मी का अहसास का अपना अलग एक मज़ा है. पर वो लंड अन्दर नहीं ले रही थी, शायद वो दर्द से डर रही थी.

मैंने उससे घोड़ी बनने को बोला. वो झट से बन गई. मैंने पीछे आकर चुत पर थूक लगाया और अपना लंड पेल दिया.

वो दर्द से चिल्ला उठी और उसके मुँह से निकला- आंह मादरचोद … चोद दे इस चूत को … उम्म्ह… अहह… हय… याह… फाड़ डाल इस चूत को … बहुत परेशान करती है.

मैं भी जोश में था. उसकी गांड पर एक चांटा मार दिया.
वो चिल्ला उठी, उसके मुँह से आवाजें आ रही थीं- अहा याह आह.

ऊपर से मैं उसके दूध मसल कर उसे और गर्म करता जा रहा था.

फिर अचानक मैंने चुदाई रोकी, पर लंड उसकी चूत के अन्दर ही था. मैं उसकी चूत को महसूस कर रहा था कि कैसे उसकी चुत ने मेरे लंड को अपना समझ कर पकड़ लिया है. फिर वो खुद आगे पीछे होने लगी, तो मैंने उसकी कमर पकड़ कर फिर से उसे चोदना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर में मेरा गर्म लावा फट कर उसकी चूत में चला गया और मैं उसके ऊपर ही गिर गया.

उसका पानी भी निकल गया था.

कुछ मिनट के बाद वो फिर से चुदना चाहती थी. वो मुझे खुश करने लगी. कहीं वो अपनी चूत मेरे मुँह के पास लाती, तो कभी गांड, तो कभी चूचे. उसने फिर से मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी.

मैंने इशारा किया कि चूत यहां लाओ.
वो आ गई. हम लोग 69 की पोजीशन में आ गए. जब मेरा लंड पूरी तरह सख्त हो गया, तो मैंने उसे हटाया और उसको पीछे से पकड़ कर किस करने लगा. उसकी गांड दबाने लगा.

शायद वो समझ गई थी कि अब उसकी गांड फटने वाली है.

मैंने भी ज्यादा देर ना करते हुए बहुत सारा थूक उसकी गांड के छेद पर लगा दिया. मैंने उससे पूछा- तुम तैयार हो इस हसीन दर्द के लिए … जो एक हसीन याद की तरह जिंदगी भर तुम्हारे साथ रहेगा.
वह नीचे देख कर मुस्कुराती रही.

मैं उसकी हां को समझ गया था. मैंने उसे इशारा किया कि पूरी घोड़ी बन जाओ … ताकि मैं बंदूक निशाने पर लगा सकूं.

वह घोड़ी बन गई, मैंने ज्यादा देर ना करते हुए अपना लंड उसकी गांड के छेद पर लगा दिया और जोरदार धक्के के साथ अपना लंड उसकी गांड के अन्दर डाल दिया. इस के साथ मैंने उसके मुँह को हाथों से दबा दिया था, ताकि हमारी आवाजें दिक्कत ना कर सकें.

उसकी दर्द भरी आवाजें निकलने लगीं. शायद पहली बार अपनी गांड में लंड ले रही थी. इसलिए मैंने भी जल्दबाजी करना ठीक नहीं समझा और धीरे धीरे अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा.

मुझे एहसास हुआ कि उसकी आंखों से आंसू निकल रहे हैं. मुझे दुख हुआ और मैंने अपना लंड बाहर निकाल दिया.

थोड़ी देर में सब नॉर्मल हो गया और वह मुझसे कहने लगी- गांड अगली बार मार लेना.
मैंने कहा- अगली बार कैसे मिलोगी?
तो उसने कहा- मैं सब बता दूंगी.

मैंने हां कर दी. फिर हमने साधारण चुदाई की और एक साथ नंगे लेट गए.

थोड़ी देर बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और उसने मुझे अपना नंबर दिया और घर का पता दिया.

इसके बाद हम लोग गेट खोल कर ऐसे बैठ गए, जैसे कुछ हुआ ही नहीं. थोड़ी देर में स्टॉप आ गया और मैं उतर गया. मेरे दोस्त के साथ उसका भाई भी आ गया और वो लोग भी चले गए.फिर एक बार उसका कॉल मुझे आया चार दिन बाद की कल ओ रिटेन नागपुर ज रही हैं तो मेने उसे बोला कि कोन्नसी ट्रेन है तो उसने कहा की विद्रभा एक्स्पइस ठीक है में भी आऊंगा फिर हम दोनो ही रिटेन जाने वाले थे इस कहानी में भी आप लोगो को पूरा मजा आने वाला है।दोस्तो भाग २लिखूंगा जल्दी ही।

नागपुर बॉम्बे स्लीपर बस का सफर


 मुझे काम के सिलसिले मे अकसर बाहर आना जाना पड़ता था । एक बार मेरे साथ एक हादसा हुआ जो में विनोद कुमार आप लोगो के साथ शेयर करना चाहता हूं आप लोगो को बहुत पसंद आएगा एक बार में नागपुर से मुंबई जा रहा था आखरी स्लीपर बस थी

किसी अनजान लड़की की चूत अचानक ही चोदने को मिल जाए तो मजा आ जाए. ऐसे मुझे एक लड़की की चुदाई का मौक़ा मिला जब मैं एक स्लीपर बस में सफर कर रहा था

खैर, अब आगे की बात. मेरा नाम विनोद कुमार, मैं रहने वाला नागपूर हूँ और उम्र है ४२वर्ष. मेरे लन्ड के साइज की अगर बात की जाए तो ९इंच से भी थोड़ा बड़ा है. हालांकि पहले पहल मैं इसे एक नॉर्मल साइज ही मानता था. लेकिन जैसे जैसे नई नई चुदासियों की चुदाई की तो उन सब ने ही बताया कि मेरा यह शहजादा बाकियों के मुकाबले लम्बा, मोटा और चूत के अंदर तक पूरी तसल्ली देकर चुदास शांत करने वाला है.

अब आते है कहानी पर.

दरअसल एक बार किसी काम के सिलसिले से मुझे मुंबई जाना पड़ा. अक्टूबर का महीना था और मीठी मीठी सर्दी की शुरुआत सी ही हुई थी. दिल्ली में दिन भर भागदौड़ के बाद बस में स्लीपर करवा लिया.
परेशानी अब यह हुई कि मैं अकेला था और बस भी लास्ट थी जब स्लीपर की बात आई तो ट्रेवल एजेंसी वाला अड़ गया. उसने मुझे बोला कि बस के आखिर में एक डबल स्लीपर खाली है सो डबल के पैसे देने पड़ेंगे.
मैंने मना किया तो बोला- ठीक है, हम किसी और पैसेंजर को दे देंगे.

आखिरी बस होने के कारण मुझे मजबूरी में दोगुणा किराया देना पड़ा और मैं स्लीपर में आकर लेट गया. मैंने टी शर्ट और लोवर पहना हुआ था.

थोड़ी ही देर में बस चलने लगी और मैं भी थकावट के कारण बस कब सो गया पता ही नहीं चला. रात के करीबन एक बजे बस ने अचानक ब्रेक लगाए जिससे मेरी नींद खुल गई.

पता चला कि सड़क पर एक टैक्सी खराब हो गई और उसमें जो सवारियां थी उन्होंने ही बस को रुकवाया. बस ड्राइवर ने सवारियों को बस में आने का कहा.
सब सवारियां एक एक करके एडजस्ट हो गई.

इतने में बस का कंडक्टर मेरे पास आया और बोला- सर, आपके पास डबल स्लीपर है, आप एक सवारी को अपने साथ एडजस्ट कर लीजिए.
मैंने उसे साफ मना कर दिया, मैंने कहा- जब तुम लोग मुझसे दोगुणा के किराया ले चुके हो तो अब मैं तुम्हारी बात क्यों मानूं?
वो बोला- आपको किराया दिला देते हैं.

हालांकि मुझे इतना गुस्सा नहीं करना चाहिए था लेकिन मैं ना जाने उस वक्त क्यों गुस्से में था. मैंने उसे साफ मना कर दिया. वो चला गया.

उसके जाते ही एक खनखनाती सी आवाज मेरे कानों में पड़ी- सुनिए!
मैंने पलट कर देखा तो बस देखता ही रह गया. इतनी खूबसूरत सी महिला मेरे सामने थी और मेरे पास मानो जवाब देने के लिए ही कुछ नहीं था. मैं एकटक बस करीब ३०/३२वर्षीया उस अौरत देखता ही रह गया.
उसने फिर से बोला- सुनिए … मैं आपको बुला रही हूं.
तब कही जाकर मुझे होश आया और मैंने कहा- जी कहिए?
वह बोली- प्लीज आप मुझे स्लीपर में जगह दे दीजिए. मैं आपको इसका किराया दे दूंगी.

मिशरी सी घुली उस आवाज ने मानो मुझे अपने वश में ही कर लिया. वो भले ही मेरी मिन्नत कर रही थी लेकिन मुझे इस बात का यकीन नहीं हो रहा था कि यह अप्सरा मेरे साथ सफर करेगी. वो भी स्लीपर में लेट कर. ऊ स औरत के बारे मै बता दू उसके बूब्स के साइज़ ३६ के थे में देखता ही रह गया

मैंने तुरन्त आगे की तरफ सरकते हुए उसे हां कह दिया और वह स्लीपर में आ गई.
आते ही उसने बड़े प्यार से मुझे थेंक्स कहा.

जिस स्लीपर में मैं था वह सबसे लास्ट में था और मेरे सामने वाले में कोई अंकल थे जो कि बस चलते ही खर्राटे ले रहे थे.

वह लेडी अब मेरे बिल्कुल पास आकर लेट गई और अपने फोन से घर कॉल करके बताने लगी कि वह अब बस से घर आ रही है.

उसकी बातें जरा लम्बी हुई तो मैंने उसकी तरफ पीठ करके करवट ले ली. थोड़ी ही देर में उसने कॉल कट की और शांत हो गई. उसके आने से पहले मैंने स्लीपर वाला शटर बन्द करके पर्दा लगाया हुआ था. लेकिन उसने दोनों को ही खोल दिया.

उसके बदन से आती महक मुझे पागल कर रही थी. जी कर रहा था कि अभी उस पर टूट पड़ूँ कैसे भी करके!

सोचते सोचते मैंने फिर से करवट बदली और उसकी तरफ मुँह करके लेट गया. मद्धिम सी रोशनी में वह क्या गजब लग रही थी। उसने टीशर्ट लोवर पहनी हुई थी. टी शर्ट में उसकी उठी हुई चोटियाँ मुझे बेकाबू कर रही थी.

उसे जब हल्की हल्की सी ठंड महसूस होने लगी तो उसने शटर बन्द कर दिया लेकिन पर्दा फिर भी नहीं लगाया. मैं उसके बारे में सोच सोच कर पगला रहा था. हम दोनों साथ लेटे जरूर थे लेकिन आपस में बातचीत नहीं शुरू की.

अब बातचीत की शुरुआत कैसे हो यह सोच सोच कर दिमाग खराब हो गया. इतने में जैसे मेरी मुराद पूरी हो गई.
दरअसल जिस सड़क से बस जा रही थी वहां अचानक से कुछ गड्ढे आ गए, जिसका अंदाजा बस ड्राइवर को भी नहीं रहा. उसने गड्ढों से बचाने के लिए कभी बाएं तो कभी दाएं तीन चार कट लगाए. जिससे बस में सफर कर रही सवारियां उथल पुथल हो गई.

कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ. कट लगने के साथ ही मैं लुढ़कता हुआ उससे चिपक गया तो अगले ही कट में वह मेरे ऊपर ही आ गई.
आह …

अचानक से लगे कट से ऐसे लगा मानो बस पलटा खाने वाली है. इसी डर से अगले कट में हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया. हम दोनों अनायस ही एक दूसरे की बांहों में समा गये. इस बीच हम दोनों के होंठ एक दूसरे से टकरा गए. और वही मैंने उसके मम्मे मेरे जिस्म से दबते महसूस हुए. इस पांच से छः सेंकड के बीच हुई उलट पलट ने तूफान सा ला दिया.

जल्द ही बस सामान्य स्थिति में आई और वह मुझसे अलग होने लगी तो मैंने जानबूझकर उसके दबाए रखा. लेकिन वह हट कर फिर से लेट गई. हमने ऐसे रिएक्ट किया जैसे कुछ हुआ ही नहीं. अब न जाने उसे क्या सूझी उसने पर्दा भी लगा दिया.

फिर वह बाते करने लगी. उसने बताया कि वह अपनी किसी सहेली की शादी में दिल्ली गई हुई थी। उसके साथ उसकी तीन अन्य सहेलियां भी थी. जिस टेक्सी में वापस जा रहे थे वह खराब हो गई। इस वजह से उसे और उसकी सहेलियों को बस से सफर करना पड़ा.
उसने अपना नाम नीलिमा(काल्पनिक) बताया।

उसने मेरे बारे में पूछा तो मैंने भी अपने बारे में उसे बता दिया. वो मेरे इतना पास थी कि हम दोनों एक दूसरे की सांस तक महसूस कर रहे थे. उसके फिगर को देख देख कर मेरा शहजादा पजामे में से फुंकार मारने लगा.

मैंने हिम्मत करके उसे बोला की आपको ठंड लग रही होगी आप मेरी चादर शेयर कर सकती हैं. इतना कहते ही उसने चादर का एक सिरा पकड़ा और अपने ऊपर फैला लिया.

अब तो हालत पहले से भी कहीं बिगड़ गई. अब उसके जिस्म की गर्मी भी हल्की हल्की से महसूस होने लगी.

इतने में मेरा पैर उसके पैर से जा टकराया. मैंने ऐसा दिखाया जैसे मैंने यह जानबूझकर नहीं किया. वो भी शायद पूरी खेली खाई थी उसने भी मानो उस सब को नजरंदाज सा कर दिया.
इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई. मैंने अब पैरों से उसके पैर हल्का हल्का सा सहलाना शुरू कर दिया लेकिन जल्द ही मैं रुक गया.

फिर वही हुआ. उसने मेरे पैर रुकते ही खुद अपने पैर चलाने शुरू कर दिए. कसम से उस वक्त जो एहसास हुआ ना उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता. कभी कभी हमें उन सबमें भी मस्ती मिलने लगती है जिसका कभी सोचा भी ना हो. उसका एक एक स्पर्श मेरे अंदर बिजली सी दौड़ा रहा था.

जब उसकी तरफ से ग्रीन सिग्नल मिल ही गया तो मैंने भी तसल्ली से उसके एक एक अंग को खाने का मन बनाया.

मैंने एक हाथ उसके मम्मे पर रख कर उसे सहलाना शुरू किया.
आह … यह किस्सा ऐसा है कि इसे शब्दो में पिरोते पिरोते मेरा हाथ मेरे लन्ड पर खुद ब खुद जा रहा है. मेरी प्यारी पाठिकाएँ भी अब अपनी चूत में उंगली कर सकती है.

उसके आम जैसे नुकीले और रुई जैसे नरम नरम बाएं मम्मे को मैं सहला सहला कर खींचने लगा.

तभी उसके मुंह से सीईईई ईईईई सिसकारी निकली. उसने तुरंत फुर्ती दिखाते हुए भूखी शेरनी की तरह मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और चूसने लगी. फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाला और मैं उसकी जीभ को चूसने लगा. ऐसे स्मूच कर रहे थे जैसे बस एक दूसरे में समा जाएंगे.

स्मूच करते करते मेरा हाथ उसकी टी शर्ट के अंदर चला गया. उसने फिर से आह भरी. मैंने अब एक हाथ से उसके मम्मे को धीरे धीरे दबाना शुरू किया तो दूसरे हाथ से उसकी जाँघ गांड सहलाने लगा.

इससे वो और ज्यादा गर्म हो गई और अपनी टांगों की केंची सी बना कर मुझे अपने साथ जकड़ लिया. फिर मैंने टीशर्ट को ऊपर खिसकाया और उतार दिया. उसने ब्रा नहीं पहनी हई थी. मैं लपलप करके उसके एक निप्पल को चूसने लगा और दूसरे हाथ को उसकी लोवर में डालते हुए पेंटी पर हाथ फिराने लगा.

मेरी एक खासियत है. मैं जब भी किसी का मम्मा चूसता हूँ तो एक ही इतनी शिद्दत से चूसता हूँ कि पूछो मत. इससे होता ये है कि आपकी पार्टनर इस खेल में पूरी तरह से शामिल हो जाती है. इसे ऐसे समझिए अगर आप एक ही मम्मा चूसते रहेंगे और दूसरे की तरफ ध्यान नहीं देंगे तो आपकी पार्टनर की चुदास इतनी बढ़ जाएगी कि वह खुद अपना दूसरा मम्मा आपके मुंह में देगी.

और जब यह दूसरा मम्मा खुद मुंह में आता है तो किला फतह करने जैसा ही होता है. यानि आप अपने पार्टनर को सही तरीके से गर्म कर रहे हैं. यहाँ भी हमेशा की तरह ऐसा ही हुआ. मैंने एक मम्मे को अपने मुंह में पूरा भर लिया और गप गप खाने लगा.

मेरे दूसरे हाथ की अंगुली उसकी पैंटी के आसपास की किनारी पर चलने लगी. और धीरे से किनारे से अंदर होते हुए गरमागर्म भट्टी से धधक रही चूत पर जा लगी. इससे वो सिहर उठी उसने फटाफट मेरा मुँह मम्मे से हटाया और जबरदस्ती दूसरा मम्मा मेरे मुंह में देकर मेरा सर दबा दिया और इत्मीनान से चुसवाने लगी.
अभी महज पांच सात सेकेंड ही हुए थे, उसने फिर से पहले वाला मम्मा मेरे मुंह में डाल दिया. पहला किला यही फतह कर लिया मैंने. अब मैं उसकी चूत को महसूस कर रहा था.

सेक्स के लिए मुझसे कभी जल्दबाजी नहीं होती भले कुछ भी हो जाए. सेक्स का असली मजा फोरप्ले में है. जब तक दोनों पार्टनर पूरी तरह से इसमें डूब न जायें तब तक प्यारे नाजुक अंगों को सहलाते रहो. फिर जो एहसास आता है उसे शब्दों में ब्यान नहीं किया जा सकता.

अब मेरा नाजुक प्रहार उसकी चूत पर था जिसे मैं सहला रहा था. सीधा अंगुली अंदर न डाल कर पहले आसपास गोल गोल अपनी सारी उंगलियों से सहलाया. फिर योनि की दीवारों को हल्की हल्की चिकोटी काटनी शुरू की. इस सबके बीच नीलिमा पूरी तरह समर्पित हो चुकी थी. वह मेरे हर एक प्रहार का बड़े ही अदब से स्वागत कर रही थी.

उसने मुझे अच्छे से अपने जिस्म से कस लिया. और मेरे एक हाथ को अपने निप्पल पर ले जाते हुए दबवा दिया. मैं उसका इशारा समझ गया. मैंने निप्पल को कस के मसल दिया. उससे उसे मीठे से दर्द का एहसास हुआ.

अब दृश्य कुछ यूं था मेरा एक हाथ निप्पल की चिकोटी काट रहा था, दूसरा योनि की दीवार को चिकोटी काट कर हल्की हल्की से मसाज दे रहा था. और मुंह में आह … मुँह में पूरे का पूरा आम जिसे में चूसे जा रहा था.

अब मैंने उसकी भगनासा को सहलाना शुरू किया तो उसे जैसे आग सी ही लग गई. आह … सीईईई आह … सीईईई ईईईई करके वो सिसकारने लगी.

मैंने धीरे से एक अंगुली उसकी चूत में बड़े ही प्यार से हल्का सा दबाव बनाते हुए दाखिल की. यकीन मानिए उसमें इतनी गर्मी थी … आह … उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
उंगली अंदर जाते ही उसने मेरे लन्ड को कस के पकड़ा और तेजी से मेरी टीशर्ट उतारते हुए मेरा लोवर और अंडरवियर नीचे कर दिया और लन्ड की मुठ मारने लगी.

मैंने उंगली चलाने में जैसे जैसे तेजी की वैसे वैसे वो स्पीड से मेरे लन्ड को आगे पीछे करने लगी.
धीरे से बोली- वाउ इतना लंबा और मोटा!

अब मैं मेरे अगले दांव की तरफ बढ़ने लगा. मैंने उसके लोवर को उतारते हुए पेंटी भी उतार दी. उसकी झीनी सी पेंटी को मैंने किस किया तो वह उछलने सी लगी. मैंने धीरे से अपने होंठ उसकी पनियाई चूत पर रखे और किस किया.

इसके बाद उसकी भगनासा को ऐसे चूसा जैसे उसके निप्पल को चूसा था. फिर मैंने मेरी जीभ को भगनासा के गोल गोल घुमाई तो वह गनगना उठी. उसने मेरे सिर को पकड़ के पूरा जोर लगा दिया कि जैसे मैं उसकी चूत में ही समां जाऊं.

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर किसी कुत्ते की तरह लपलपानी शुरू की.

मेरी सबसे बड़ी फेंटेसी ही चूत को चाटना है. अगर किसी ने मर्द ने सेक्स के दौरान कभी चूत नहीं चाटी है तो वह इसके आनन्द से वंचित ही है. चूत चाटने का अलग ही मजा है. उसकी चूत से निकला पानी मैं चाट रहा था.
वह उछलने लगी.
हालांकि मेरा मन था कि वह मेरा लंड चूसे लेकिन मैं जानता हूं कि सभी लड़कियाँ लन्ड चूसती होंगी यह जरूरी नहीं. तो मैंने उसे इस बारे में कुछ कहने से अच्छा उसे आनंद की उस चरमसीमा तक ले जाना ज्यादा जरूरी समझा, जहां तक कोई कोई ही ले जा सकता है.

मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाते हुए जीभ से चूत चुदाई जारी रखी. साथ ही बीच बीच में ऊपर उठी उसकी गांड के आसपास के हिस्से को नजाकत से सहला रहा था.

वह जोर जोर से उछलने लगी. उसने एकदम से स्पीड बढ़ाते हुए एक पिचकारी और छोड़ दी और कस कर मुझे अपने ऊपर लिटा लिया.

अब उसने मेरे लन्ड को पकड़ा और अपनी चूत के दरवाजे पर रख कर नीचे से ऊपर की तरफ जोर का झटका दिया. उस झटके से मेरा लन्ड थोड़ा सा अंदर गया. अब मैंने अपने लन्ड की लंबाई मोटाई के हिसाब से धीरे धीरे करते हुए अंदर तक डाल दिया.

उसकी बच्चेदानी मेरे टोपे से टकराई महसूस हुई. उसकी प्रतिक्रिया को समझते हुए मैंने तुंरत उसके होंठों को अपने होंठों से जकड़ लिया जिससे कि वह लंबे लन्ड के प्रहार के बाद चाह कर भी चिल्ला न सकी.

अब मैंने धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर किया. उसे मस्ती आने लगी, बोली- जोर से … और जोर से … और जोर से!
उसके इतना कहते ही मैंने जोर जोर से उस लड़की की चुदाई करना शुरु कर दिया.

इससे उसकी आँखों में आंसू आने लगे. लेकिन वह भी अब उछल उछल कर साथ देने लगी. मैंने स्पीड बढ़ाई तो उसने भी बढ़ा दी. मैंने उसे इशारे से समझाया कि मेरा होने वाला है. उसने भी बोला कि वह भी बस आने ही वाली है.उसने मुझे कहा कि मैं उसकी चूत के अंदर ही छोड़ दूं.

मैंने धक्के लगाए तो दोनों एक साथ ही झड़े. वह हांफने लगी. उसने मुझे फिर से अपने ऊपर जकड़ लिया और ताबड़तोड़ किस करने लगी.
उसने मुझे कहा कि मर्द किसी औरत का एक बार ही स्खलन करवा दे तो बड़ी बात मानी जाती है. लेकिन तुमने तो मेरा कई बार करवा दिया.

वह बोली- यार, तुम्हारा लन्ड तो बड़ा है कि साथ ही तुम जिस तरह से फोरप्ले करते हो, अगर ऐसा सभी करने लग जाए तो क्या कहने!
उसने मुझे इतना प्यार किया कि बता नहीं सकता.

उसने बताया कि मेरी जो सहेलियाँ साथ में हैं, अगर उनको तुम्हारे बारे में पता चलेगा तो वे तो तुम्हें कच्चा खा जाएंगी.
इस बात पर हम दोनों हंसने लगे.

इसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने.
न … न … न … बल्कि एक दूसरे को कपड़े पहनाए.
क्योंकि छोटी छोटी सी बातों से ही तो आनंद आता है. इसके बाद उसने मेरा फोन लेकर अपना नम्बर सेव कर दिया और मेरा नम्बर भी सेव कर लिया.ब भी मेरी याद आती हैं तो मेने उसे बोला ठीक है तुम चाहो तो अगली बार मेरे साथ सेक्स कर
 

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