गुरुवार, 17 दिसंबर 2020

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शनिवार, 7 नवंबर 2020

शबाना आंटी की चुसाई ट्रेन में

Sex video
 

मेरे बारे में आप लोग को बत्ताता हूं में एक मिडल क्लास family se बिलोंग करता हूं मेवेक प्रोपर्टी ब्रोकर हू प्रोपर्टी के सिलसिले में मुझे अकसर सभी जगह से आना जाना पड़ता है. आप लोगो को बोर नहीं कर सकता में कहानी पे आता हूं। एक बार जब में नागपुर से बॉम्बे के लिए जाने वाला था तब मेरे को रिजर्वेशन नहीं मिला लेकिन जाना जरूरी था तो मेने नेट पर ट्रेन का टाइम देखा तो 1घंटे में ट्रेन आने वाली थी में भाग भाग के स्टेशन पहुंचा तो मेने देखा भीड़ बहोत्त हैं जनरल के डब्बे जहा आते है वहीं जाकर में खड़ा हो गया। वहा एक फैमिली भागते हुए आई उस परिवार में तीन मोटी औरत थी और एक आदमी दुबला पतला की उनसे समान भी उठाया जा सकता था।जनरल में भीड़ बाहर से ही दिखाई दे रही थी तो ट्रेन आने में 15/20 मिनिट टाइम था तो उस औरत ने मुझे पूछा की ट्रेन कब तक आएगी मेने बोला की बस अब आंटी ही होंगी।तो उन्होंने कहा क्या आप हमारी help करेंगे मेने उस औरत को बोला क्यों नहीं बिल्कुल औरत बोली की आप के पास कुछ भी समान नहीं दिखता में बोला बस एक बैग है। ओ बोली हमारे पास समान बहोत्त्त है में बोला कोई बात नहीं भीड़ ज्यादा होने के कारण हम एक दूसरे को चिपक के खड़े थे मेरा लौड़ा हिचकोले खाने लगा था उस औरत ने मुझे खड़े खड़े गर्म करना चालू कर दिया कभी आे अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया करती कभी अपने बूब्स को मेरे कंधे को रगड़ देती मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा था।में समझ गया ये क्या चाहती है हसी मजाक में ये सब चल रहा था। ट्रेन आने लगी मेने उस का सामान को हात लगाया और उसका बूब्स को टच किया ओ मेरे तरफ देख कर हसने लगी मेने सोचा अपना ये सफर यादगार रहेगा । भीड़ ज्यादा होने के कारण हमें जनरल डब्बा के अंदर दी सीट के बीच में खड़े रहने की जगह मिल गई।आप लोग अब बोर हो चुके होंगे लेकिन असली मजा अब आने वाला है दोस्तो आे औरत और उसकी सिस्टर दोनों के बीच में में खड़ा उस औरत का नाम पूछा तो उसने शबाना बताया उसकी सिस्टर का नाम रुकसाना बताया ऊन लोगो को बॉम्बे जाना था हमारे सामने वाले पैसेंजर 1घंटे बाद उतारने वाले थे इसलिए हम वहीं खड़े हो गए। शबाना के बारे में आप लोगो को बतादु दोस्तो उस की हाइट 5*4 होंगी बूब्स 34के थे और दीखनेमे किसी हीरोइन के जैसी थी उस की सिस्टर भी उस के जय सी थी में बात पे आता हूं शबाना उस तरह खड़ी थी कि मेरा लद उसको टच हो सके उसने लद को टच किया तो मेने अपने हात का कमाल दिखाना शुरू किया मेरा हात उसकी होड़नी के नीचे से कि किसीको दिख न सके ऐसी तरह रख़ दिया और दबाना शुरु किया शबाना काफी गर्म हो चुकी थीं। दूसरी तरफ से उस की सिस्टर टच कर रही थी मेरे लोड़े का बूरा हाल था । एक घंटा अयसे में निकल गया और हमारे सामने वाली पैसेंजर का स्टेशन आगया ओ लोग उतरने लगे ओ दोनों के बीच में मुझे बिठाया फिर क्या में तो जन्नत में दाखिल हो गया शबाना का पति दरवाजे के पास बायेठने के लिए जगह मिल ने पर वहीं रुक गया डिब्बा पैक हो गया अब नए पैसेंजर को जगह नहीं मिल सकती थी अब मुझे तो बॉम्बे जाना था और शबाना को भी हमारे पास पूरे बारॉ घंटे थे शबानाने मेरे जंग पे हात रखा और दूसरी तरफ से उस की सिस्टर ने रख दिया और मेरा लद पूरा जोश में आगाया अगला भाग बड में लिखूंगा

शबाना आंटी की मस्त चुदासी


 में नागपुर शहर में रहता हू यह बात 2011 है कि जब में नया नया नागपुर में रहने के लिए गया। मेरे पिताजी का तबादला हुआ था हम लोग एक मकान किराए पे लिया। वो बस्ती सभी समाज के लोगों की ज्यादा थी। आप लोगो को बोर नहीं करते हुए। कहानी पे आता हूँ हमारे पड़ोस में एक मुस्लिम परिवार रहता था हम नए होने के कारण उस परिवार ने हमें बहुत मददत की। उनका आना जाना चालू हो गया एक दिन में अपने कमरे में बैठकर कम्प्यूटर पर काम कर रहा था। शबाना आंटी की मेरे को देखकर बोली की क्या तुम मुझे सिखाओंगे! मेने बोला क्यों नहीं ! तुम मेरे खाली समय में आ सकते हो। शबाना के बारे में आप को बता हिं दू दोस्तो क्या चीज़ है यार! बूब्स की साइज बोले तो उसकी पंजाबी ड्रेस मेसे बाहर आने को करते है। और सफेदी की झनकार और उसकी एक बात उसका चेहरा कोई भी देखेगा तो देखता ही रह जाएगा। थोड़ी मोटी जरूर है लेकिन क़यामत लगती है। उसका एक लड़का ही है। उसका पति ज्यदातर बाहर शहर से बाहर ही रहता था। इसलिए आये दिन महीने के महीने अकेली रहती थी। अब उसने मुझसे पूछा कि कंप्यूटर सिखाएं गे मेने हा बोल दिया। टाइम तो मेने बोला कल 2 बजे। क्यों की मेरे घर पर कोई नहीं रहेगा कि पिताजी बाहर निकल जाएंगे और मम्मी भी अपने कामों में बीजी रहती हैं। दूसरे दिन शबाना तैयार हो कर आ गई। शिक्षा के लिए लिए। मेरे पास बैठकर पूछा की इसे क्या कहती है मेने बोला रुको थोड़ा मैडम सब कुछ सिखाऊंगा शांत रहो प्लीज।इसे माउस कहते है। इसको ऐसे रखो !ओ बोली केसे में बोला अपना हाथ इसपर रखो। उसके हात पर मेने अपना हाथ रख दिया और माउस चलना सीखा रहा तब तक मेरा हात उसके बूब्स को टच कर ने लगा दिया। तो मेरा लंड खड़ा होने लगा और उसने बोला हात दबाकर । कायदे से सिखा ओ मेने बोला आप को सीखना होगा तो ये सब करना ही चाहिए क्यों की इस माउस का कहना है और ये ऐसा ही चलना चाहिए ओ बोली ठीक है गुरुजी! में बोला दबाकर इसे ऊपर को उपर लेते समय मेरे हात से उसका बूब्स पूरा दबा दिया। ओ हसने लगी थी मेने सोचा अपना काम शुरू हो जाएगा लाइन क्लियर हैं। शबाना को भी अच्छा लगने लगा था। इतने बड़े स्तन, महिला की वासना और मोठे मोठे स्तन उसके बारे में ज्यादा नहीं बोलेंगे। कहानी पे आता हूं नरम नरम बूब्स छूने के बाद मेरे शरीर में कपकपी जुट गई और में कपकपट्टे लगा की यार क्या चीज़ों में शबाना! फिर मेने उसको बोला कि कल आना! तो ओ बोली की अभी सिर्फ 15 मिनिट हुए हैं। रोज इतना टाइम सिखाएंगे तो मे यह 10 साल मे भी मे सीख नहीं सकती। मेने बोला ठीक है रोज दो घंटे पढ़ौंगी। लेकिन आप भी कुछ पूछोगी नहीं ठीक है। ओके टिक है। फिर मैंने सीखाना चालू कर दिया और अपना भी काम शुरू किया सीखते हुए स्तन दबाना। पहले दिन बहुत अच्छा लग रहा था। अब दूसरे हिस्से में दोस्त से मिलना जरूर काम शुरू हो जाएगा लाइन क्लियर हैं। शबाना को भी अच्छा लगने लगा था इतने बड़े स्तन देख कर शबाना आते ही, मेरा लुंड खड़ा हो जाता था। शबाना को सिखाते हुवे मेने मेरा हात एसा रखा की शबाना का स्तन टच होता रहे। शबाना समझ गई की मेरी दिल मे क्या है। मेरा लुंड खडा उसने देख लिया। मुझे कहने लगी !आप कुछ आगे बड़ो सीखने के लिए। मे समझ गया यह क्या चाहती है, मेने पूरा हात शबाना के बूब्स पर रख दिया। और मसलने लगा, शबाना को भी मजा आने लगा था। उसने उअसका हात मेरी लुंड पर रख दिया और सहलाने लगी। मेने शबाना के स्तन पंजाबी ड्रेस मेसे बाहर निकाल कर दिए और चूसने लगा।

शबनाने मेरा लुंड बाहर निकला और चूसने लगी। मे भी शबाना के स्तन चूसने लगा और चूत को सहलाने लगा। अब शबाना बोली अपने कपडे उतरो !मे बोला तुम भी उतारो !हम दोनों अब बिना कपड़ो के रूम मे थे। मेने समय न गमाते हुवे, शबाना के चूत पर अपना लुंड रख दिया, एक है झटके मे आधा चला गया। शबाना चीखी और बोली !तुम्हारा लुंड मेरी पति से बहुत बड़ा है। प्लीज इसे बाहर निकालो ? मे कहा सुनाने वाला था। मेने जोर जोर से झटके मरना चालू कर दिया और शबाना आह !!!!!!!!आह !!!!!""!करने लगी मे जोर जोर से पेलने लगा शबाना बोली मुझे दर्द हो रहा है प्लीज बाहर निकालो मेने झटके जोर से देने शुरू किये। शबाना झडने वाली थी। ुअसने मुझे जोर से दबाना शुरू किया और झड गई मेरा लुंड मुह मे लेके चूसते हुवे मेरा माल निकाल दिया। अब जब कभी मेरी चोदने की मन करता तो मे शबाना को बुलाता हु। शबाना अणि मर्जी से आती है। "  

Bus के सफर में


 इस बार फिर हाज़िर हूँ एक नयी कहानी लेकर बड़ी ही रोचक दास्तान लेकर आक्च्युयली ये कुछ २ साल पुरानी बात है मे एक दिन भिंड से नागपुर बस से आ रहा था बस बहुत भीड़ भाड़ थी और शीट भी खाली नही थी मे अपना बाग लेकर सबसे पीछे की शीट पर जाकर बैठ गया.

और वा री मेरी किस्मत मेरे बगल मे हे कोई ३५ साल की एक लेडी बैठी हुई थी जो दिखने खुच ख़ास नही थी पर भरे पुर बदन की मलिक थी और एक नज़र मे देखकर लगता भी नही था की उसकी उमर 3५ के आस पास होगी. वो खिड़की के बिल्कुल बगल से बैठी थी और फिर उसके बगल से मे फिर मेरे बगल से एक बुडी औरत और फिर उसके ५ नाती पोते. ये देखकर मेने मन ही मन सोचा की कुछ बात बन सकती है.
फिर क्या था बस ने चलना सुरू किया सर्दियों का टाइम था बहुत ही ठंड लग रही हंत पैर काँप रहे थे अचानक ही एक तेज झटका लगा और मुझे ऐसा एहसास हुआ की किसी ने मेरा हांत कस कर पकड़ लिया हो मेने चोर नज़र से देखा की उस औरत ने मेरा हांत कस कर पकड़ लिया था मेने धीरे से बस की भीड़ भाड़ और दर की वजह से अपना हांत छुड़ा लिया और फिर कुछ देर बाद फिर से झटका लगा और फिर उसने मेरा हांत पकड़ लिया इस बार मेरी हिम्मत कुछ बड़ी उसने शॉल ऑड रखी थी ओर मेने अपने हांत को उसके शॉल के अंदर कर लिया उसका कोमल हंतों का स्पर्श मुझे भी अच्छा लग रहा था और मुझे मज़ा भी आ रहा था अब तो धीरे धीरे मेरे लंड देव भे फंफनाने लगे थे अभी कुछ आधा घंटा ही निकला था की एक और झटका लगा और मुझे उसका पेट चुने का अवसर भी प्राप्त हुआ और मेने हिम्मत करके अपने हांत को उसके पेट ना हटाकर उसके पेट पर फेरना सुरू कर दिया और मुझे एसा महसूस हुआ की उसे भी अब मज़ा आरहा था तो मेने हंतो को फेरना चालू रखा.
अब मे सोच रहा था की आंगे का काम कैसे पूरा होगा तभी उसने अपनी शॉल को खोला और कुछ ऐसे लपेटा की मे भी उसके साथ दाख गया मेरा तो जैसे जलवा ही हो गया अब काया था मुझे पता था की जैसे ही अंधेरा होगा बस की भी लीघ ऑफ हो जाएगी और कुछ ही देर बाद बस के अंदर की भी लाइट ऑफ हो गयी और बस अब अपनी फुल स्पीड मे चल रही थी कुछ ही देर मे एक टाउन आने वाला था जहा कुछ सवारिया और बढ़ती है और बस पूरी तरह से फूल हो जाती है तब तक मे उसके स्तानो को उपर से दबाता रहा और पेट से अंदर उसकी सॅडी मे हांत डालकर उसकी छूट का मुययना भी किया उसकी छूट पर बहुत हे बड़े बड़े बाल थे ऐसा लग रहा था जैसे कई सालो से सॉफ नही किए हो उसने भी मेरे पैंट की जीप को खोलकर मेने लंड देव को खूब मस्ती दी.
फिर बस थोड़ी देर के लिए रूकी मे समझ गया की टाउन आ गया मे तोड़ा सा संभाल कर बैठ गया और पीछे वाली सीट पर एक और लेडी आ कर बैठ गयी तो हमारे बियतने कुछ और दिक्कत बाद गयी फिर बस ने चलना सुरू किया इस पूरी यात्रा के दौरान हम दोनो के बीच किसी भी प्रकार का कोई भी संबाद नही हुआ था. बस फिर से चल पड़ी और हम दोनो फिर से अपने अपने काम मे लग गे ईक जगह बस ने ज़ोर से जंप किया तो वो उछाल कर मेरे पैरो पर बैठ गयी मे समझ गया फिर क्या था मेने भी अपने पैंट की जीप को खोला और उसने भी अपनी सॅडी को नीचे से उठा दिया सबसे बाड़िया तो ये था की उसने पैंटी नही पहनी थी वो मेरे लंड पर बैठ गयी और धीरे धीरे अपने बजन को मेरे उपर बड़ाने लगी और मेरा लंड तो जैसे इसी की प्याससा था एक चाकू की तरह उस केक को काटता हुआ उसके अंदर घुसने लगा था मेने धीरे से उसके मूह पर हांत रखा तो उसने मेरे उंगली को काट लिया मे समझ गया की वो बिल्कुल गरम हो चुकी.
और अब तो वो हर बस के झटके के साथ और ज़ोर से उछलती और मेरा लंड पूरा उसके अंदर समता चला जाता रात की वजह से अधिकतर यात्री सो रहे थे यान फिर आँखे बंद किए हुए थे पर मेरे आनंद की कोई सीमा नही थी मुझे तो जैसे स्वर्ग ही मिल गया था मे अपने दोनो हांतो से उसके निप्पल को दावा रहा और मुझे महसोस भी हो रहा थी की उसके बूब्स से मिल्क तपाक रहा था पर मुझ पर तो जैसे कोई नशा सा छा गया था मुझे अब कुछ भी नही दिखाई दे रहा था वो उछाल उछाल कर चुड रही थी और मे इस अनोखी चुदाई यात्रा का मज़ा ले रहा था उसके नीचे के बाल जो बहुत ही बड़े थे एक अलग ही सुख प्रदान कर रहे थे मे अपने एक हाथ से उसके झांतो की लंबाई नापने के नाकाम कोशिश कर रहा था अचानक ही मुझे ऐसा लगा की उसका जोश कुछ ज़्यादा ही बड गया
और उसने अपने उछालने की स्पीड को और बड़ा दिया उसकी छूट एकदम से गीली हो गयी और मेरा लौदा बड़े ही आराम से उसकी छूट को फाड़ रहा था मे तो जैसे सातवे आसमान पर था और उसने झटको और तेज कर दिया उसकी छूट से पानी ही पानी निकल गया उसने एकदम से कसकर मेरे कंधो को पकड़ लिया मे समझ गया की इसका काम तो हो गया पर मे आयी नही हूआ था और उसे भी ये पता था उसको तो जैसे हर चीज़ का एक्सपीरियेन्स था उसने झट से मेरे गीले लंड को अपनी मुट्ठी मे बंद किया और मेरा मूठ मरने लगी झुककर उसने मेरे लंड को अपने मूह मे भी ले लिया और मुझे भी लगने लगा की मे भी झड़ने वाला हूँ तो मेने उसके सर को ज़ोर से अपने लंड पर दवादिया मेरा लंड उसके गले तक चला गया उसके गले से घुटि सी आवाज़ निकल रही थी और मेरे लंड का सुपाड़ा मुंह में लेके उसने मेरा पूरा वीर्या पी लिया तो मेने अपना दवाब कुछ कम कर दिया फिर उसने अपनी शॉल से मे रे लंड को पोछा और लगभग आधे घंटे बाद मेरा फिर से कड़ा होने लगा फिर उसने ऊपर से ही मेरी मुट मर दी उसके बूब को टच कर कर हिला रही थी और निकल दिया वो एक स्टोपगे पर उतार गयी पर मुझे ये अनोखी यात्रा ऐसी लगती है जैसी कल की बात हो एक एक लम्हा अच्छी तरह से वीडियो की तरह दिमाग़ मे है.

शबाना

यह सारांश मौजूद नहीं है. कृपया पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें .

आदिवासी औरत भाग1


 नमस्ते दोस्तो, मैं राज दोस्तो नागपुर महाराष्ट्र में रहता हूँ. मेरी उम्र ३५ साल है और शादीशुदा हूँ. मेरी हाइट 5 फुट ८इंच और हथियार ९इंच का है. मेरी सेक्स लाइफ अच्छी चल रही हैदोस्तो नागपुर महाराष्ट्र में रहता हूँ. मेरी उम्र ३५ साल है और शादीशुदा हूँ. मेरी हाइट 5 फुट ८इंच और हथियार ९इंच का है. मेरी सेक्स लाइफ अच्छी चल रही है

आज मैं अपने साथ घटी एक घटना बता रहा हूं.
बात है दिसंबर 2०१९ की है, उस समय मेरी अपनी वाइफ से थोड़ी अनबन चल रही थी, तो हमारे बीच शायद १० दिनों से सेक्स नहीं हुआ था. मुझे अपने रिश्तेदार के यहां पूना जाना पड़ा. मैंने सरकारी बस में जाने का फैसला किया.
मैं रात की ८ बजे की गाड़ी से निकला. बस में बहुत भीड़ थी, तो मुझे सबसे आखिरी वाली सीट मिली. आखिरी लाइन में भी खिड़की वाली सीट मिली, जिसका एक शीशा टूट हुआ था. सर्दी के कारण कोई उधर बैठना नहीं चाहता था. गाड़ी चूंकि पूरी भर गई थी, अब मैं अपने आप को कोसने लगा कि प्रायवेट गाड़ी से जाता तो अच्छा होता. आते वक्त मैंने कोई कम्बल या शॉल भी नहीं लिया था. मेरे बगल में ३ बूढ़े बैठ गए थे. बस निकल पड़ी.
खिड़की के टूटे हुए शीशे से जोर की हवा अन्दर आ रही थी. बुड्डों ने अपने कम्बल निकाल लिए. मैं तो ठंड से मरा जा रहा था. ऐसे में गाड़ी अकोला रुक गयी.. जो लोग उतरे उनकी जगह जो लोग खड़े थे, वो लपक कर बैठ गए. मैं फिर अपनी जगह फंस गया. मेरे बाजूवाले बूढ़े भी आगे चले गए थे. बस फिर चल पड़ी.
आगे एक घंटे के बाद बस एक ढाबे पर रुक गई और मैं भी नीचे उतरा. मेरी खाना खाने की इच्छा नहीं थी. बस टहल रहा था कि पास में एक जनरल स्टोर था. वहां पर शो-केस में कंडोम के पैकेट लगे हुए थे. उसे देखकर मेरे मन में हलचल होने लगी. वहाँ से 2-3 लोगों ने पैकेट खरीदे.
मैं उस दुकानदार के पास गया और उससे पूछा कि कोई जुगाड़ हो सकता है क्या?
वह बोला- साहब, अकेले सफर कर रहे है क्या?
मैंने हां में जवाब दिया.
उसने कहा- आज आपका नसीब अच्छा नहीं है. जो दो धंधेवाली आती हैं, साली आज वे भी नहीं आईं.. नहीं तो ५०० रु में एक शॉट हो जाता.
मैं अपने नसीब को कोसता रह गया. एक तो १० दिन से प्यास नहीं बुझी थी. ऊपर से ठंड की हालत में लंड भी चुनमुन हो रहा था. मैं मन ही मन में अपनी बीवी के साथ वाले पल याद करने लगा और मेरा लौड़ा पैंट के अन्दर खड़ा हो गया.
मुझे जाने क्या सूझी, सोचा कि कंडोम लेकर बस में मुठ मारूँगा और कंडोम फेंक दूंगा. मैंने एक कामसूत्र का पैकेट ले लिया. साथ ही में उसके यहां से एक गर्म बड़ी सी शॉल भी ले ली और बस में आ गया.
बस अब चलने लगी थी. सिर्फ पीछे वाली लाइन में मैं अकेला था जबकि आगे पूरी बस भरी थी. आधे घंटे बाद सारे लोग सो गए. मैं अपने सेक्स की दुनिया के पल याद करते हुए अपना लौड़ा ऊपर से सहला रहा था कि अचानक बस रुक गयी. बाहर बहुत लोगों का शोर आ रहा था. शायद कोई दूसरी सरकारी बस फेल हो गई थी. उस बस वाले उन लोगों को हमारी गाड़ी में आगे भेज रहे थे.
बहुत सारे लोग अन्दर आ गए और जहां जिसे जगह मिल गई, वे वहीं बैठने लगे. इतने में मेरे तरफ १० से १५ लोग आ गए, सभी शक्ल से देहाती लग रहे थे. उनमें से ८/१०महिलाएं भी थीं. उनके साथ ४/५बच्चे भी थे. सारे मर्द सीटों पर बैठ गए, अब जगह बची नहीं थी, तो औरतें नीचे पैरों के पास बैठ गयी. एक औरत मेरे पैरों के ठीक सामने बैठी. उसके बगल में 6 या 7 महीने का बच्चा होगा. उसके बाजू में 2 बूढ़ी औरतें बैठ गई थीं.
मुझसे तो हिलते भी नहीं बन रहा था. जो उनके मर्द थे, वे सारे शराब पिये हुए थे. बहुत बास आ रही थी. मेरे मन को बहुत बुरा लगा कि मर्द होकर खुद सीट पर बैठ गए और बूढ़ी और जवान औरतों को नीचे बिठा दिया.
इन सबमें मेरा ध्यान अब मेरे सामने बैठी औरत पर गया. शायद 23 या 24 साल की देहाती औरत थी. उसका गेहुंआ रंग था, दूध से भरे चुचे 36 साइज़ के होंगे. उसने मुझे उसे घूरते हुए देख लिया और एक बार अपने मर्दों की तरफ देखा. मैं डर गया और सोने का नाटक करने लगा.
बस आगे बढ़ना शुरू हो गई और फिर आगे निकल पड़ी. जोर की ठंड थी और मेरी खिड़की से जोर की हवा आ रही थी. मैंने अपने को शॉल में लपेट लिया. उतने में उस औरत का बच्चा ठंड से रोने लगा. उसने उसके मर्दों की तरफ देखा, सब सो गए थे. दोनों बूढ़ी औरतें भी चिपक कर सो गई थीं. बेचारी के पास ठंड से बचने के लिए कुछ नहीं था.
उसने मेरी तरफ देख के बोली- बाबूजी, जरा खिड़की बंद कर दो, जोर से हवा चल रही है, मेरे बच्चे को ठंड लग रही है.
मैंने कहा- खिड़की का कांच टूटा है, खिड़की तो बंद है.
उसने ऊपर खिसककर देखा, जिससे वह मेरे करीब को हो गई.

आदिवासी औरत भाग3


 मैंने उत्तेजना में अपना मुँह बंद कर लिया था. वह अब जोर से लंड चूस रही थी, मेरा हाथ भी उसके स्तन जोर से दबा रहा था. अचानक वह उठी, उसने अपने मर्दों को देखा. वो खड़ी हो गयी. अब मेरा शॉल उसके स्तनों पर नहीं था. उस चांदनी की रोशनी में भी मुझे उसकी भरपूर गोलाईयां दिख गईं.

मुझे समझ नहीं आया कि ये अचानक खड़ी क्यों हो गई, जबकि नीचे उसका बच्चा सो रहा था. उसने अब झट से मेरी तरफ पीठ की.. और अपनी साड़ी ऊपर उठाई. शॉल को फिर से ओढ़ लिया और मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत पर सैट किया, आराम से अन्दर डाला और आगे की सीट पे झुकाव किया.
मैं समझ गया और मैंने भी पीछे से उसकी चूत में झटके देना शुरू किया. मुझे डर भी लग रहा था और रहा भी नहीं जा रहा था. पांच मिनट के बाद मेरा माल बाहर आ गया. वह भी सिकुड़ गई, मेरा वीर्य उसकी जांघों के सहारे चुत से बाहर आ गया. वह उठी और अपनी साड़ी से चूत को पौंछते हुए उसे नीचे की और फिर नीचे बैठ गयी.
अब मैंने नीचे झुककर उसे एक किस किया और थैंक्यू बोला. तभी उसने अपना हाथ अपने स्तनों पर रखकर मेरे चेहरे पर अपना दूध उड़ाया और हंस दी.
मैंने उंगली से चेहरे के ऊपर का दूध पी लिया. उसने अपना ब्लाउज बंद कर दिया. वो मेरे सोये हुए लौड़े को सहला रही थी. उतने में उसका बच्चा फिर जग गया. मैंने अपना लौड़ा अन्दर किया और चैन लगा कर सो गया.
सबेरे जब नींद खुली तो उन लोगों का स्टॉप आ गया था. उसके साथ के मर्दों को जबरदस्ती जगाना पड़ा कि भैया उतरो, स्टॉप आ गया है.
मैंने कभी बाहर की औरत से सम्बंध नहीं बनाये, लेकिन पत्नी अगर आपको बहुत दिनों तक लिफ्ट नहीं दे, तो मन भटकता है. हर औरत सेक्सी लगती है. मैं तो आज पैसे देकर भी चुदाई करने वाला था. अपने नसीब को कोस रहा था, पर उसके घर में देर है.. अंधेर नहीं.
जाते समय उसने मुझे स्माइल दी, आज वो मुझे अपनी बीवी से भी सुंदर लग रही थी. मेरा मचलता मन उसने शांत किया था.
आपको मेरी कहानी कैसी लगी है मेरे मेल पर रिप्लाई देना.


आदिवासी औरत भाग2


 अब उसका मुँह मेरे पेट के पास था और इस वजह से उसके स्तन मेरे दोनों घुटनों पर दब गए. मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ने लगा. उसे ये महसूस हुआ और वो फिर से नीचे खिसक गई. उसके स्पर्श से मैं गरम हो गया. अब मैं सोचने लगा कि इसका फायदा कैसे उठाया जाए. एक तरफ उसके मर्द पीकर सो रहे थे और हम दोनों की नींद उड़ गई थी.

मेरे दिमाग में एक आईडिया आया. मैंने उससे कहा कि तुम्हारे पास कोई चादर होगी, वो ओढ़ लो. बच्चे को ठंड लग जायेगी, बेचारा बीमार हो जाएगा.
उसने कहा कि उसके पास चादर नहीं है.
फिर मैं चुप रहा. दो मिनट के बाद फिर उसे भी और बच्चे को भी ठंड लगने लगी.
इस बार वो चुपके से मेरे करीब खिसक गयी. अब वो मेरे पैरों के बीच में चिपक गयी थी. मैंने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे जगाया और उसके कान के पास जाकर कहा कि बच्चे को ठंड लग रही है, तो उसे मेरे शॉल से लपेट दो, मेरी शॉल बड़ी है, कोई दिक्कत नहीं होगी. उसका बच्चा ठंड से उससे चिपक कर सो रहा था. वो दूध पीने के लिए उसकी छाती को खोलने की कोशिश कर रहा था.
उसने कहा- ठीक है.
मैंने उसके पूरे बदन पर शॉल डाल दी. इससे मैं और वो दोनों शॉल से ढक गए थे. अब उसने अपनी छाती खोल के बच्चे को दूध पिलाना शुरू किया, बच्चे के दूध चूसने की आवाज मेरे कानों में आ रही थी. मैं बहुत गर्म हो गया और मेरा लौड़ा पेंट में तंबू बना रहा था. मैंने धीरे धीरे अपनी पैंट को घुटनों तक उठाया. अब तक उसका बच्चा भी सो गया था. बस के धक्के से उसके खुले स्तन मेरी पिण्डलियों से टकरा रहे थे. वो भी सो रही थी. उसका और मेरा सिर्फ मुँह शॉल से बाहर था. बाकी पूरा क्लोज था. उसके नरम थन मेरे पैर से लग रहे थे, उसमें से दूध भी आ रहा था, जो मुझे गीला लग रहा था.
मैंने अब आगे बढ़ने का काम किया. मैंने अपनी पैंट की जिप खोली और लौड़े को बाहर निकाल लिया. फिर मैंने अपना सिर आगे की सीट पर टिकाया और सोने का नाटक करने लगा.
फिर धीरे से मैंने उसके एक स्तन पर हाथ रखा. उसका ३८ का स्तन गर्म और मुलायम लगा. मैंने धीरे से दूध दबाया. वो सो रही थी या सोने का नाटक कर रही थी, पता नहीं. एक बार और आराम से उसके स्तनों पर हाथ फेरते हुए पूरा दूध पकड़ कर आराम से दबाया.
इस बार वो जग गई, उसने मुझे देखा मैं तुरंत सोने का नाटक करने लगा और हल्की आंखों से देखने लगा कि वो क्या करती है. उसने उसके मर्दों की तरफ देखा, सब सो रहे थे.
अब उसने अचानक अपने हाथ कंधे पर लिए और अपना सर शॉल के अन्दर ढक लिया. उसके दोनों हाथ मेरे हाथों पर आ गए थे. उसने मेरे हाथ अपने स्तनों से हटा दिए. मैं पागल हो रहा था, मेरा लौड़ा कड़क हो गया था. मैंने उसके दोनों हाथ जो मेरे घुटनों पर थे, उसको पकड़ कर अपनी जांघों के बीच लौड़े को ना छुए, ऐसे रख दिये.
उसने कुछ नहीं बोला.
मैंने महसूस किया कि मेरे हाथ निकलने पर भी उसने अपना ब्लाउज बंद नहीं किया था. मैं कुछ देर शांत रहा, लेकिन मेरा लौड़ा उछाल मार रहा था. शायद उसे ये महसूस हुआ, उसकी उंगली धीरे से मेरे लौड़े को टच कर गयी. मेरी तो जान जा रही थी. मैंने धीरे से अपने दोनों घुटने पास लाने शुरू कर दिये, उससे उनके स्तन मेरे घुटनों में दब गए. अब उसने 2 से 3 उंगलियां मेरे लौड़े के पास लाकर उसे छू लिया. मैं दोनों घुटने अन्दर कभी बाहर कर रहा था, शायद उसने मेरा लौड़ा देख लिया क्योंकि अब उसका सर मेरे पेट के सामने उठा हुआ था. मैंने अपना लौड़ा तो पहले ही खोल कर रखा था, मुझे अपने लौड़े के ऊपर उसका हाथ महसूस हुआ. उसने मेरे हथियार को पकड़ लिया और धीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगी. अब मैंने भी उसके चेहरे से अपना हाथ फेरते हुये धीरे से उसके गालों से होते हुये उसके होंठों पर अंगूठा टिका दिया. उसके होंठ खुल गए. मेरा अंगूठा उसके मुँह में घुस गया. वो उसे चूसने लगी.
मैं अब अपना दूसरा हाथ उसके स्तनों पर फेरने लगा. वो गरम हो गयी थी और लौड़ा जोर से ऊपर नीचे कर रही थी. अब मैंने अपना अंगूठा उसके मुँह से बाहर निकाल लिया, उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने दूसरे स्तन पर रख लिया.
अब मैं कहां रुकने वाला था, मैंने अपना सर फिर से सामने वाली सीट पर लगाया. तो मेरा लौड़ा उसके मुँह के सामने आ गया था. वह समझ गयी और उसने लौड़ा मुँह में भर लिया और धीरे से चूसने लगी.
मैं तो जैसे स्वर्ग में था, क्योंकि मेरी बीवी ने आज तक कभी मेरा लंड मुँह में नहीं लिया था. मैंने भी उससे कभी जबरदस्ती नहीं किया था. ये मेरा पहला अनुभव था. मैं उसके मम्मे दबा रहा था, पूरा दूध निकलकर मेरे हाथ गीले हो गए थे और उसके स्तनों पर चिकनाई आ गई थी. वह लंड चूस रही थी, मैं दूध दबा रहा था

SAFAR 3


 अब भी उससे चोद कर ही आया हूँ और उसने मुझे ब्रा दिखाई और साथ मैं मोबाइल मैं पिक्स दिखाई, उसने आंटी और खुद की पिक्स ली थी पर वो कपड़ों मैं थी,और दूसरी मैं वो और आंटी टॉपलेस थे. तभी बस एक जगह फूची तो उसने कहा की यहां उसे उतरण है और वो उत्तर गया. मैं जल्दी से आंटी के स्लीपर की और गया और तेज तेज नॉक किया. आंटी ने दूर ओपन किया तो मैंने कहा की नागपुर आ गया है चलो जल्दी केरो उतरने की तैयारी केरो. ये बोलते हुए मैं अंदर देख रहा था तो देखा की आंटी की सारी खराब हो गयी है और वो अलग पड़ी है और वो सिर्फ़ ब्लाउज पेटीकोट मैं है. फिर मैने आंटी के बूब्स खोलनेको कहा आंटी मेरे को ना ना कह रहे थे फिर मेने उनकी एक बात नाही सुनाई  दबाता रहा फिर वो भी गर्म हो गई थी दबाते ही आंटी का पानी निकालने वाला था मेने आंटी के चू त पे हात लगा था वो फिर गर्म हो गई फिर मेने आंटी को अपने मुंह में डाल दिया और कहा कि शबाना जोर से दबाना शेबो मेरी रानी आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह आह कर रहे है तो कोई बात नहीं तुम्हें मजा आह रहा है ना बेटा ।बेटा मत कहो आंटी ।  मेरी और चूसो चूसो आह आह

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